बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत तेज हो गई है। विपक्षी दल जहां लगातार इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं, वहीं एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी निर्वाचन आयोग की इस प्रक्रिया पर कड़ा ऐतराज जताया है।

ओवैसी का कहना है कि SIR के दौरान चुनाव आयोग की ओर से नागरिकता से जुड़े दस्तावेजों की मनमानी मांग से मतदाताओं के साथ दुर्व्यवहार और अवैध वसूली की आशंका बढ़ गई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने अचानक बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया और बाद में नियमों में बदलाव कर दिए, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति बन गई।

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"नागरिकता के नाम पर दस्तावेजों की जबरन मांग"

ओवैसी ने कहा कि पहले मतदाताओं से दस्तावेज मांगे गए और फिर गणना फॉर्म की मांग की गई। उन्होंने आशंका जताई कि जिन लोगों के पास आयोग की निर्धारित सूची में शामिल दस्तावेज नहीं होंगे, उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है।

"SIR के जरिए NRC लागू करने की कोशिश"

इससे पहले भी AIMIM अध्यक्ष ने चुनाव आयोग पर संवैधानिक सीमाओं को लांघने का आरोप लगाया था। उन्होंने SIR को ‘बैक डोर से NRC’ लागू करने का प्रयास करार देते हुए कहा था कि यह तय करना चुनाव आयोग का कार्य नहीं कि कौन नागरिक है और कौन नहीं।

ओवैसी ने यह भी कहा कि आयोग की ओर से सार्वजनिक स्पष्टीकरण न देकर सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आना चिंताजनक है। उन्होंने सवाल उठाया, "आखिर ये सूत्र कौन हैं?" उन्होंने यह भी जोड़ा कि AIMIM ही वह पहली पार्टी थी जिसने सबसे पहले SIR को छुपे तरीके से NRC लागू करने का प्रयास बताया था।