बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसक घटनाओं के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की जेएनयू इकाई ने शनिवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने कट्टर इस्लामिक आतंकवाद के प्रतीकात्मक पुतले का दहन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
एबीवीपी का आरोप है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठनों द्वारा सुनियोजित तरीके से हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। संगठन ने हाल ही में मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में दीपु चंद्र दास नामक युवक की हत्या का उल्लेख करते हुए इसे मानवता को शर्मसार करने वाली घटना बताया।
ईशनिंदा के आरोप में भीड़ का हमला
एबीवीपी के अनुसार, दीपु एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था और किराए के मकान में रहता था। आरोप है कि ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाकर भीड़ ने उसके घर में घुसकर पहले मारपीट की और फिर उसकी हत्या कर दी। बताया गया कि हत्या के बाद शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी गई।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इस दौरान एबीवीपी ने जेएनयू के वामपंथी छात्र संगठनों पर भी सवाल उठाए और कहा कि वे इस तरह की घटनाओं पर चुप्पी साधे रहते हैं, जबकि अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर लगातार विरोध जताते हैं।
मौन भी अपराध के समान: एबीवीपी
एबीवीपी जेएनयू इकाई के अध्यक्ष मयंक पांचाल ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन हैं और ऐसे मामलों पर चुप रहना भी अपराध के समान है। वहीं इकाई मंत्री प्रवीण के. पीयूष ने कहा कि पुतला दहन उन विचारधाराओं के खिलाफ चेतावनी है, जो हिंसा और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने कहा कि एबीवीपी पीड़ितों की आवाज़ बुलंद करती रहेगी और इस मुद्दे को उठाती रहेगी।