नई दिल्ली में 18 दिसंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और कनाडा की एनएसए नतालि जी. ड्रूइन के बीच अहम बैठक हुई। यह बैठक दोनों देशों के बीच चल रहे नियमित सुरक्षा संवाद का हिस्सा थी। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि यह वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच जून में अल्बर्टा (कनाडा) में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई बातचीत को आगे बढ़ाने का प्रयास भी थी।
बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने उच्चस्तरीय राजनीतिक भरोसे को पुनः स्थापित करने और सुरक्षा सहयोग को और गहरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बातचीत में आतंकवाद से निपटने, अंतरराष्ट्रीय अपराधों के खिलाफ सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने भविष्य की चुनौतियों पर मिलकर काम करने और क्षेत्रीय व वैश्विक परिदृश्यों पर विचार साझा करने पर सहमति जताई।
इसी कड़ी में 19 सितंबर को नई दिल्ली में विदेश कार्यालय परामर्श (एओसी) भी आयोजित किया गया, जिसकी अगुवाई भारत की ओर से सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने और कनाडा की ओर से उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने की। यह परामर्श भी प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कार्नी के बीच जून 2025 में कनेनास्किस (कनाडा) में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद आयोजित हुआ था। इसमें दोनों देशों ने अपने रिश्तों की समीक्षा की और अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
बैठक में भारत और कनाडा ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों को मजबूत आधार मानते हुए द्विपक्षीय संबंधों को नए सिरे से आगे बढ़ाने पर जोर दिया। दोनों देशों ने जून 2025 के बाद संबंधों में आई प्रगति, विशेषकर उच्चायुक्तों की वापसी का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री स्तर पर हुई सहमति के अनुसार, व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, नागरिक परमाणु सहयोग, सुरक्षा व कानून प्रवर्तन, दुर्लभ खनिज, अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और कृषि जैसे क्षेत्रों में संवाद तंत्र को फिर से सक्रिय करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता बहाल करना और एक संतुलित व रचनात्मक साझेदारी को आगे बढ़ाना है।