दिल्ली हाईकोर्ट ने 1993 में इंडियन एयरलाइंस की 192 यात्रियों से भरी फ्लाइट के अपहरण के दोषी हरि सिंह की समयपूर्व रिहाई से इनकार करने वाले सजा समीक्षा बोर्ड (Sentence Review Board – SRB) के निर्णय को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला की एकल पीठ ने 7 जुलाई को दिए आदेश में कहा कि एसआरबी का फैसला कमजोर तर्कों पर आधारित था और दोषी के जेल में आचरण व सुधार के पहलुओं की अनदेखी की गई।
अदालत ने कहा कि हरि सिंह ने जेल में लगभग 18 वर्षों की वास्तविक सजा के दौरान अनुशासित व्यवहार किया है और उनके खिलाफ किसी तरह की आपराधिक प्रवृत्ति की पुनरावृत्ति का संकेत नहीं मिला। उन्हें अपहरण विरोधी अधिनियम की धारा 4 और भारतीय दंड संहिता की धाराओं 353, 365 और 506(II) के तहत दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2001 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसे 2011 में हाईकोर्ट ने बरकरार रखा और बाद में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका भी वापस ले ली गई।
हरि सिंह ने अदालत को बताया कि उन्होंने समयपूर्व रिहाई के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन हर बार अपराध की गंभीरता को आधार बनाकर आवेदन खारिज कर दिया गया। 12 मई 2025 तक वे 17 साल 11 महीने 6 दिन की वास्तविक सजा और छूट सहित कुल 22 साल 6 महीने 20 दिन की सजा पूरी कर चुके थे।
हाईकोर्ट ने माना कि एसआरबी ने सिंह के आवेदन को खारिज करते समय प्रशासनिक फैसले में अपेक्षित तर्कसंगतता नहीं दिखाई। अदालत ने 24 अप्रैल 2025 को हुई एसआरबी की बैठक की कार्यवाही को भी निरस्त करते हुए मामले को दोबारा विचारार्थ बोर्ड के पास भेजा और आठ सप्ताह के भीतर नए निर्णय का निर्देश दिया।
इस आदेश के बाद हरि सिंह को कानूनी रूप से राहत मिलती है, हालांकि अंतिम निर्णय एसआरबी के नए मूल्यांकन पर निर्भर करेगा।