दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अब वैज्ञानिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा। बुधवार को दिल्ली कैबिनेट ने क्लाउड-सीडिंग तकनीक से बारिश कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिल्ली-एनसीआर के लिए 'क्लाउड-सीडिंग ट्रायल और मूल्यांकन' परियोजना को स्वीकृति दी गई। इसका उद्देश्य राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण और कम वर्षा की समस्या का प्रभावी समाधान करना है।
आईआईटी कानपुर की देखरेख में होगा प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट आईआईटी कानपुर के दिशा-निर्देश में संचालित होगा। संस्थान प्रोजेक्ट की योजना, एयरक्राफ्ट की तैनाती, केमिकल छिड़काव, वैज्ञानिक मॉडलिंग और ट्रायल्स की निगरानी करेगा। दिल्ली सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए आईआईटी कानपुर को फंड प्रदान करेगी। प्रत्येक क्लाउड-सीडिंग ट्रायल की लागत लगभग 55 लाख रुपये होगी, जबकि पांच ट्रायल्स के लिए कुल अनुमानित खर्च 2.75 करोड़ रुपये है। इसके अतिरिक्त एयरक्राफ्ट की कैलिब्रेशन, केमिकल स्टोरेज और लॉजिस्टिक के लिए 66 लाख रुपये का प्रावधान है। इस तरह प्रोजेक्ट की कुल लागत 3.21 करोड़ रुपये आंकी गई है।
पहला ट्रायल इस महीने के अंत तक
दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में क्लाउड-सीडिंग का पहला ट्रायल इस महीने के अंत तक किया जाएगा। लगभग 100 वर्ग किलोमीटर के दायरे में ट्रायल की योजना है। इस चरण में कुल पांच ट्रायल किए जाएंगे, जिसके बाद वैज्ञानिक आधार पर यह आकलन किया जाएगा कि क्लाउड-सीडिंग वायु गुणवत्ता और वर्षा पर कितना प्रभाव डालती है।
13 विभागों से लेनी होगी मंजूरी
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले सरकार को 13 प्रमुख विभागों और एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना होगा। इनमें नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया सहित अन्य विभाग शामिल हैं।