नई दिल्ली। दिवाली और छठ पूजा के त्यौहारों के नजदीक आते ही यात्रियों के लिए घर लौटना हर साल की तरह इस बार भी महंगा हो गया है। कन्फर्म ट्रेन टिकट मिलना लगभग नामुमकिन हो गया है, जबकि हवाई जहाज और बसों के किराए में डेढ़ से दो गुना तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है।

दिल्ली से बिहार, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे प्रमुख गंतव्यों के लिए यात्री अब अधिक खर्च करने को मजबूर हैं। इस बढ़ोतरी ने यात्रियों में निराशा और परेशानियों को बढ़ा दिया है।

बस टिकट की कीमतें आसमान छू रही हैं
कश्मीरी गेट स्थित महाराणा प्रताप बस टर्मिनल (आईएसबीटी) पर निजी बस संचालकों ने किराए में भारी वृद्धि कर दी है। दिल्ली से पटना, लखनऊ, गोरखपुर, उत्तराखंड और वाराणसी के रूटों पर सामान्यत: 500-700 रुपये में मिलने वाले टिकट अब 2,500 से 3,000 रुपये तक बिक रहे हैं। एसी स्लीपर बसों के किराए छठ पूजा तक 3,000 से 7,000 रुपये तक पहुँच सकते हैं।

हर साल त्योहार के समय यात्रियों को टिकट की कमी और बढ़ते किराए की समस्या का सामना करना पड़ता है। रेलवे द्वारा विशेष ट्रेनों की घोषणा भी भीड़ को नियंत्रित करने में पूरी तरह कारगर नहीं हो रही है, जिसका लाभ निजी बस संचालक उठा रहे हैं।

बस स्टैंड तक पहुँचना भी चुनौतीपूर्ण
त्योहारों के मौसम में बस स्टैंड और सड़कों पर भारी भीड़ रहती है। कश्मीरी गेट से दिल्ली गेट तक शाम 4:30 से 7:30 बजे तक भीषण जाम रहा, जिससे यात्रियों को बस स्टैंड पहुँचने में अतिरिक्त एक से डेढ़ घंटे का समय लग गया।

लंबी कतारें और भारी भीड़
मंगलवार शाम 5 बजे अंतरराष्ट्रीय महाराणा प्रताप बस अड्डे पर यात्रियों की लंबी कतारें लगीं। कई यात्री डेढ़ से दो घंटे तक बसों के इंतजार में खड़े रहे। जैसे ही बसें आईं, यात्री अपने सामान के साथ सीट सुरक्षित करने दौड़ पड़े।

यात्री परेशान
गिरधारी शर्मा नामक यात्री ने कहा, "दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में काम करते हैं, त्योहार के दौरान ही घर जाने का मौका मिलता है। ट्रेनों और बसों में सीट मिलना मुश्किल है, किराया दोगुना होने के बावजूद।"

प्रदीप कुमार ने कहा, "उत्तर प्रदेश और बिहार रूटों पर कई ट्रेनों में 200-300 टिकट प्रतीक्षा सूची में हैं। बस टिकट भी महंगे हैं, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।"

बस संचालकों की ओर से सफाई
दिल्ली अंतरराज्यीय बस संचालक संघ के महासचिव श्याम लाल गोला ने बताया, "त्योहारों के मौसम में यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है। मांग के अनुसार कुछ दिनों के लिए किराए में वृद्धि की जाती है, जो उचित है। यात्रियों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुँचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।"

त्योहारों के मौके पर घर लौटना हर साल यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता है, लेकिन इस साल की बढ़ी हुई कीमतें इसे और कठिन बना रही हैं।