नई दिल्ली। राजधानी में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रशासन ने वाहनों के प्रवेश को लेकर सख्ती और बढ़ा दी है। दिल्ली की सीमाओं पर अब गैर-बीएस6 मानकों वाले वाहनों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। नियमों का उल्लंघन करने पर वाहन चालकों को भारी जुर्माना भरना पड़ रहा है या फिर उन्हें बॉर्डर से ही वापस भेजा जा रहा है। प्रशासन का उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को राजधानी से दूर रखना और हवा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
बॉर्डर पर सघन जांच, 20 हजार रुपये का चालान
नए दिशा-निर्देशों के तहत दिल्ली पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त टीमें प्रमुख प्रवेश मार्गों पर तैनात कर दी गई हैं। कालिंदी कुंज, चिल्ला बॉर्डर, गाजीपुर और डीएनडी फ्लाईवे सहित कई बॉर्डर पॉइंट्स पर बैरिकेडिंग कर वाहनों की जांच की जा रही है। इस दौरान वाहन के पंजीकरण, उत्सर्जन मानक और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) की गहन पड़ताल की जा रही है।
जांच में गैर-बीएस6 मानकों पर चलने वाले, खासकर दिल्ली के बाहर पंजीकृत वाहनों को रोका जा रहा है। ऐसे वाहनों के चालकों को साफ तौर पर दो विकल्प दिए जा रहे हैं—या तो 20 हजार रुपये का जुर्माना अदा करें या फिर वहीं से वापस लौट जाएं। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि नियमों के पालन में किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी।
पुराने वाहनों पर भी कसा शिकंजा
कार्रवाई केवल गैर-बीएस6 वाहनों तक सीमित नहीं है। 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर भी नजर रखी जा रही है, विशेषकर वे वाहन जो बीएस-III या उससे पुराने मानकों पर चलते हैं। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के हालिया स्पष्टीकरण के बाद उठाया गया है, जिससे ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता साफ हुआ है।
अधिकारियों के अनुसार, इस फैसले का असर दिल्ली से सटे इलाकों के बड़ी संख्या में वाहनों पर पड़ा है। अनुमान है कि गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में लाखों वाहन नए मानकों के तहत जांच के दायरे में आ सकते हैं।
पेट्रोल पंपों पर ‘नो फ्यूल’ नीति लागू
बॉर्डर के साथ-साथ राजधानी के भीतर भी निगरानी तेज कर दी गई है। दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर अब बिना वैध पीयूसीसी वाले वाहनों को ईंधन नहीं दिया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि शहर के अंदर चलने वाले वाहन भी प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करें।
प्रशासन का कहना है कि सीमाओं पर रोक और शहर के भीतर ईंधन आपूर्ति पर नियंत्रण जैसे कदम मिलकर प्रदूषण पर प्रभावी अंकुश लगाने में सहायक होंगे। यदि वायु गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में सख्ती और बढ़ाई जा सकती है।