जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष व पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 को लेकर रविवार को जमीयत मुख्यालय पर कार्यकारी समिति की बैठक हो रही है। इसमें विचार विमर्श करने के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें कानून की सांविधानिकता को चुनौती दी गई है। याचिका में जमीयत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि इस कानून में एक नहीं, बल्कि भारत के संविधान के कई अनुच्छेद विशेष रूप से अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 और 300-ए के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन किया गया है, जो मुसलमानों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों और पहचान के लिए गंभीर खतरा है। 

मदनी ने कहा कि यह कानून न केवल असांविधानिक है बल्कि बहुसंख्यक मानसिकता की उपज है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सदियों पुराने धार्मिक और कल्याणकारी ढांचे को नष्ट करना है। उन्होंने कहा कि यह कानून सुधारात्मक पहल के नाम पर भेदभाव का झंडाबरदार है और देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान के लिए खतरा है। 

मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को असांविधानिक घोषित करें और इसके क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाए। कहा कि रविवार 13 अप्रैल को इस विषय पर दिल्ली में कार्यकारी समिति की महत्वपूर्ण बैठक हो रही है। इसमें वक्फ संशोधन अधिनियम का कानूनी और सांविधानिक दायरे में किस तरह का कदम उठाया जाए, इस पर विचार-मंथन कर महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा।