दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और आप नेता आतिशी ने राजधानी में झुग्गी बस्तियों को हटाने की कार्यवाही को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि शालीमार बाग और रोहतास नगर स्थित इंदिरा कैंप व लालबाग की झुग्गियों को खाली करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है।
आतिशी ने भाजपा सरकार को गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि यह सरकार “जहां झुग्गी, वहां मकान” के वादे से मुकर गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों को पहले आवास के कार्ड दिए गए थे, अब उन्हीं के घरों पर बुलडोजर चलाने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आप पार्टी इस कार्रवाई का विरोध सड़क से लेकर विधानसभा तक करेगी।
15 दिन में खाली करने का नोटिस
शालीमार बाग के इंदिरा कैंप में झुग्गियों को खाली करने का नोटिस चिपकाए जाने के बाद, गुरुवार को क्षेत्र में अचानक अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय निवासियों ने बताया कि दोपहर करीब 2 बजे नोटिस लगाए गए, जिनमें कहा गया कि 15 दिन के भीतर मकान खाली कर दिए जाएं। पूर्व विधायक वंदना कुमारी के अनुसार, यह क्षेत्र मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की विधानसभा में आता है, बावजूद इसके यहां लगातार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हो रही है।
वर्षों से रह रहे हैं लोग
आप नेताओं ने बताया कि इंदिरा कैंप और लालबाग दोनों स्थानों पर लोग 1990 के दशक से रह रहे हैं। इन परिवारों को पहले टोकन या अलॉटमेंट कार्ड भी जारी किए गए थे। इसके बावजूद अब नोटिस देकर उन्हें बेघर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। रोहतास नगर की पार्षद शिवानी पांचाल ने कहा कि लालबाग की झुग्गियों को 31 जुलाई तक खाली करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे वहां भी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
“लोग रातभर सो नहीं सके”
शालीमार बाग वार्ड-55 के पार्षद जलज चौधरी ने बताया कि नोटिस लगने के बाद इलाके में मायूसी और डर का माहौल है। उन्होंने कहा कि लोगों को समझ नहीं आ रहा कि 15 दिनों में वे कहां जाएं। कई परिवारों ने खाना बनाना तक बंद कर दिया है और महिलाएं-बच्चे पूरी रात रोते रहे।
“छोटे बच्चे पूछ रहे हैं, कहां जाएंगे?”
आप पार्षदों ने दावा किया कि नोटिस के बाद छोटे बच्चों तक में असुरक्षा की भावना आ गई है। एक बच्ची ने पार्षद से पूछा कि अगर घर टूट गया तो वह किस स्कूल जाएगी। आम आदमी पार्टी ने कहा कि भाजपा की चार इंजन वाली सरकार में गरीबों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है, जबकि चुनाव से पहले वादे कुछ और किए गए थे।