कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को हरियाणा के दिवंगत आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के परिवार से मुलाकात कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने इस मुलाकात के दौरान कहा कि “यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं, बल्कि दलित समाज को भेजा जा रहा गलत संदेश है। वर्षों से दलितों के साथ सिस्टमैटिक भेदभाव होता आ रहा है।” राहुल ने राज्य सरकार से निष्पक्ष और शीघ्र कार्रवाई की मांग की।
करीब 50 मिनट चली इस मुलाकात में राहुल गांधी ने परिवार के सदस्यों से संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और परिवार को वह सम्मान देना चाहिए, जो उन्होंने वादा किया था। उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों से आग्रह करता हूं कि परिवार की मांगों को गंभीरता से लें और आरोपियों पर तुरंत कार्रवाई करें।”
राहुल गांधी की यह मुलाकात न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि इससे कांग्रेस के दलित समुदाय के पक्षधर होने के संदेश को भी मजबूती मिली है। पार्टी पहले से ही एनडीए सरकार पर दलितों और पिछड़े वर्गों के प्रति अन्याय के आरोप लगाती रही है।
मामले में बढ़ा प्रशासनिक दबाव
आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में हरियाणा सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है। यह फैसला विपक्ष और मृत अधिकारी के परिवार की मांगों के बाद लिया गया है। इससे पहले, रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया का भी तबादला किया गया था।
SIT को सौंपा जाएगा लैपटॉप
इस बीच, चंडीगढ़ पुलिस ने वाई पूरन कुमार की पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार को नोटिस जारी कर उनके पति का लैपटॉप मांगा है। जांच कर रही एसआईटी का मानना है कि इस लैपटॉप में मामले से जुड़े अहम डिजिटल सबूत हो सकते हैं, जिनमें उस कथित सुसाइड नोट का मूल ड्राफ्ट भी शामिल है जो घटनास्थल से मिला था।
राहुल गांधी की मुलाकात के बाद अब इस मामले में राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर दबाव और बढ़ गया है। विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि क्या सरकार इस संवेदनशील मामले में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कर पाएगी।