विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली जैस्मिन लंबोरिया बुधवार को इंग्लैंड से लौटीं, जहां शहरवासियों और परिवार के सदस्यों ने उनका भव्य स्वागत किया। इससे पहले, मंगलवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर हरियाणा बॉक्सिंग संघ, बॉक्सिंग फेडरेशन और भारतीय सेना की ओर से भी उनका अभिनंदन किया गया था।
जैस्मिन ने सिद्धपीठ बाबा जहर गिरि और बाबा शंकर गिरि की समाधि पर पहुंचकर आशीर्वाद लिया और अपनी ऐतिहासिक जीत को ईश्वर को समर्पित किया। आश्रम में पीठाधीश्वर महंत डॉ. अशोक गिरि ने पुष्पगुच्छ और स्मृति चिह्न देकर उनका सम्मान किया और शुभकामनाएं दीं कि जैस्मिन वर्ष 2028 के ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक लाएँ। इस अवसर पर बाबा भगवान गिरि, बाबा कैलाश गिरि, बाबा दशरथ गिरि, बाबा कामाख्या गिरि, बाबा गणेश गिरि और जैस्मिन के माता-पिता सहित अन्य परिजन भी मौजूद रहे।
जैस्मिन ने आगे की योजना साझा करते हुए कहा कि अब उनका ध्यान वर्ष 2026 के एशियन और कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारियों पर रहेगा। अक्टूबर में भारत में ही वर्ल्ड कप फाइनल मुकाबले होने हैं, जिसके लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। उनका मुख्य लक्ष्य वर्ष 2028 के ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है।
जैस्मिन ने पांच मुकाबले जीतकर स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस चैंपियनशिप में ओलंपिक पदक विजेताओं के खिलाफ खेलना पड़ा और वे खुश हैं कि अपने खेल में शत-प्रतिशत प्रदर्शन कर देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं।
जैस्मिन के माता-पिता जयबीर और जोगेंद्र कौर तथा चाचा महाबीर ने बताया कि उन्होंने 10वीं कक्षा में मुक्केबाजी शुरू की थी। घर में चाचा संदीप और परविंदर पहले से ही मुक्केबाज थे, जिससे जैस्मिन बचपन से खेल के माहौल में पली-बढ़ीं। वर्ष 2016 में 11वीं कक्षा में पढ़ाई के साथ उन्होंने मुक्केबाजी को पूरा समय देना शुरू किया और आज इस मुकाम तक पहुंचीं। परिजनों ने कहा कि अब बेटियों को भी बेटों के बराबर महत्व मिलने लगा है।