जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर से महाकुंभ (Train for Mahakumbh) जाने वाले यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भारतीय रेलवे ने 7 और 14 फरवरी को भी कुंभ विशेष रेलगाड़ी को चलाने की घोषणा की है।
इससे पूर्व बीते रविवार को रेलवे ने 24 जनवरी को कटड़ा से फाफामऊ रेलवे स्टेशन (प्रयागराज) तक रेलगाड़ी चलाने की घोषणा की थी। यानि अब विशेष रेलगाड़ी कुंभ के दौरान तीन फेरे लगाएगी।
7 से 14 फरवरी तक चलेगी ट्रेन
रेल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार आरक्षित विशेष रेलगाड़ी संख्या 04601 श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा से फाफामऊ के लिए 07 और 14 फरवरी को चलेगी। यह आरक्षित विशेष रेलगाड़ी श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा से सुबह 03:50 बजे प्रस्थान करके अगले दिन सुबह 04:25 बजे फाफामऊ पहुंचेगी।
इन स्टेशनों से गुजरेगी ये रेलगाड़ी
वापसी में यह आरक्षित विशेष रेलगाड़ी संख्या 04602 फाफामऊ से श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा के लिए दिनांक 08 और 15 फरवरी को चलेगी। फाफामऊ रेलवे स्टेशन से यह रेलगाड़ी शाम 19:30 बजे प्रस्थान करके अगले दिन रात्रि 22:00 बजे श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा पहुंचेगी।रास्ते में यह रेलगाड़ी शहीद कैप्टन तुषार महाजन उधमपुर, जम्मू, कठुआ, पठानकोट, जालंधर, लुधियाना, स्नेहवाल, अंबाला, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ, रायबरेली रेलवे स्टेशन पर दोनों और रुकेगी। गौरतलब है कि 24 जनवरी को कटड़ा से चलने वाली विशेष रेलगाड़ी भी 25 जनवरी को फाफामऊ से कटड़ा के लिए वापस लौट आएगी।
महाकुंभ में शुरू हुआ महास्नान
प्रयागराज में पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के बाद अब मंगलवार को महाकुंभ का महास्नान शुरू हो चुका है। मकर संक्रांति पर सबसे पहले अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। संगम तट पर देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। पहले अमृत स्नान में करीब ढाई करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान है। महाकुंभ मेला प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।
सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा ने किया स्नान
मकर संक्रांति पर श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले अमृत स्नान किया। जिसके साथ श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने अमृत स्नान किया। दूसरे स्थान पर श्रीतपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा एवं श्रीपंचायती अखाड़ा आनंद अमृत स्नान किया।
नागा साधुओं ने भी किया अमृत स्नान
पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया। साधु-संत घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा में शामिल हुए, जिससे पूरे क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो गया।