जम्मू में कश्मीरी पंडितों की 25 दुकानों पर चला जेडीए का बुलडोजर

कश्मीरी पंडितों की 25 दुकानें जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने बुलडोजर से ढहा दिए। इसमें कुछ दुकानें पक्की बनी थीं, कुछ कच्चे थड़े थे। विस्थापितों का आरोप है कि उन्हें जेडीए ने सामान समेटने तक का मौका तक नहीं दिया। जेडीए ने ये कार्रवाई बुधवार को की थी, वीरवार से इस पर सियासत शुरू हो गई है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरी पंडितों पर हुई कार्रवाई को लेकर सबसे पहले सरकार पर निशाना साधा। इसके बाद भाजपा और अपनी पार्टी ने उमर सरकार को निशाना बनाया है।वीरवार को सुबह से ही मुठ्ठी में गहमागहमी थी।

जहां पर दुकानें ढहाईं गई, वहां दुकानदार सुबह से ही इकट्ठा थे। उनकी बातों में आक्रोश था और वे बार-बार बस यही बात कह रहे थे कि उन्हें समय दिया जाना चाहिए था। भाजपा प्रवक्ता जीएल रैना भी मौके पर पहुंचे। एक पीड़ित कुलदीप किसरू ने कहा, हमें सुविधाएं और वित्तीय सहायता देने की बजाय, हमारी रोजी-रोटी छीन ली गई है। एक दुकानदार जव लाल भट्ट ने कहा कि अब हम अपने परिवारों का भरण-पोषण कैसे करेंगे।

जेडीए का दावा:
65 कनाल जमीन पर दी गई थी अस्थायी दुकान की अनुमतिमुठ्ठी में विस्थापित कॉलोनी के सामने जेडीए की करीब 65 कनाल भूमि है। इसके एक सिरे पर कश्मीरी विस्थापित बीते 25 साल से यहां पर दुकान चला रहे हैं। कश्मीर से विस्थापित होकर जम्मू आने पर जेडीए ने इन्हें अस्थायी रूप से दुकानें लगाने की अनुमति दी थी। प्राधिकरण ने इस स्थान पर फ्लैट बनाने की योजना बनाई तो यहां दुकान लगाने वालों से हटने के लिए कहा। कई बार उन्हें नोटिस दिया गया, साथ ही दूसरी जगह विस्थापित करने का आश्वासन भी दिया गया।

अधिकारियों का कहना है कि नोटिस के बावजूद भी नहीं हटने पर जेडीए ने बुधवार को अपनी जमीन खाली करवा ली। वहीं मुठ्ठी विस्थापित कैंप के अध्यक्ष अनिल भान का कहना है कि राहत और पुनर्वास विभाग विस्थापितों के लिए कैंप के भीतर ही दुकानों का निर्माण करवा रहा है, जेडीए को कम से कम एक माह का समय देना चाहिए था।

प्राधिकरण की जमीन थी, विस्थापितों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था 
जेडीए ने अपनी जमीन से कब्जा छुड़वाया हैं। यहां पर नए फ्लैट का निर्माण होना है। अवैध कब्जा करने वालों को नोटिस जारी किए गए थे। विस्थापितों वैकल्पिक व्यवस्था दी जाएगी। 25 दुकानें तोड़ी गई हैं। इनकी हालत जर्जर थी, हादसा भी हो सकता था।- विवेक मोदी, निदेशक, लैंड मैनेजमेंट जेडीए

महबूबा बोलीं- बिना पर्वू सूचना के दुकानें गिराई गई 
महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा कि ये दिल दहला देने वाले दृश्य है। जेडीए ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी दुकनें गिरा दीं। यह उस समुदाय के लिए एक और झटका है, जिसने दशकों से कठिनाइयों को झेला है। आदिवासी समुदाय की संपत्तियों को लक्षित कर ध्वस्त करने की शुरुआत अब कश्मीरी पंडितों तक पहुंच गई है, जिससे उनमें अलगाव और नुकसान की भावना और भी गहरी हो गई है। हम सीएम उमर अब्दुल्ला से आग्रह करते हैं कि वे इस गंभीर अन्याय को करुणा और तत्परता से हल करें। 

भाजपा बोली- बदले की भावना से कार्रवाई की 
भाजपा प्रवक्ता जी एल रैना ने घटनास्थल का दौरा किया। प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली एनसी-कांग्रेस सरकार की वापसी के तुरंत बाद की गई बदले की कार्रवाई लगती है। जेडीए को इन परिवारों को वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करनी चाहिए थी। सरकार को इस असहाय समुदाय को निशाना बनाना बंद करना चाहिए।जेडीए की मंशा पर उठाया सवाल अपनी पार्टी के महासचिव और पूर्व विधायक विजय बकाया ने निराशा व्यक्त की और जेडीए की मंशा पर सवाल उठाया। 

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