लद्दाख के द्रास स्थित कारगिल युद्ध स्मारक पर आयोजित समारोह में देश के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और नेताओं ने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम के दौरान लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा कि वे स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं कि इस ऐतिहासिक दिवस पर वहां उपस्थित रह सके। उन्होंने कहा, "आज हम उन बहादुर जवानों को याद कर रहे हैं जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। यह दिन आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता रहेगा।"

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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चौथी बार इस आयोजन में भाग लिया। उन्होंने कहा, "पूरा राष्ट्र उन बहादुर सैनिकों और उनके परिजनों को सलाम करता है जिन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान अदम्य साहस दिखाया।"

2024 में इस पर्व को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में 'रजत विजय दिवस' के रूप में मनाया गया था। इस वर्ष भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, लेफ्टिनेंट गवर्नर और केंद्रीय मंत्री इस अवसर पर उपस्थित रहे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह केवल सेना का नहीं, पूरे राष्ट्र का पर्व है। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने भी स्मारक पर पुष्प अर्पित कर वीरों को श्रद्धांजलि दी।

समारोह में सेना के कई अधिकारी, जवान, शहीदों के परिजन और बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित थे। यह दिन देश के लिए केवल एक सैन्य जीत का प्रतीक नहीं, बल्कि साहस, बलिदान और एकता की मिसाल है।

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नागरिक सुरक्षा संगठन से जुड़े नारायणन ने बताया कि वे 1999 से 'विजय कलश यात्रा' का आयोजन कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य युवाओं को कारगिल युद्ध और शहीदों के बलिदान से अवगत कराना है। इस वर्ष यात्रा में देश की 26 प्रमुख नदियों का जल और प्रमुख नेताओं तथा सैन्य अधिकारियों द्वारा अर्पित फूलों को 26 कलशों में संग्रहीत किया गया, जिसे 19 मई से यात्रा के रूप में आरंभ कर द्रास लाया गया।

इस अवसर पर 26वां विजय कलश स्मारक पर स्थापित किया गया। नारायणन ने यह भी बताया कि वे शहीदों की विधवाओं की सहायता के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

वायुसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी त्रिलोक, जो 1999 के युद्ध में शामिल रहे, ने उस समय की कठिन परिस्थितियों को याद किया। उन्होंने बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद भारत ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी, और आज हमारी रक्षा प्रणाली पहले से कहीं अधिक मजबूत हो चुकी है। उन्होंने विजय कलश को वीर सैनिकों की स्मृति का प्रतीक बताया।