शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की जीत पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए इसे लेकर सवाल उठाए हैं। ठाकरे ने कहा कि एनडीए की जीत का राज समझ से परे है। उन्होंने कहा, "जीतने वाला ही सिकंदर कहलाता है, लेकिन इस चुनाव में एनडीए की सफलता का असली कारण किसी को समझ नहीं आया।"

उद्धव ठाकरे ने तेजस्वी यादव की जनसभाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि आरजेडी नेता हमेशा बड़ी भीड़ खींचते रहे हैं, लेकिन बिहार चुनाव के परिणाम ने इस धारणा को पलट दिया। ठाकरे ने सवाल उठाया कि क्या तेजस्वी यादव की सभाओं में जुट रही भीड़ वास्तविक थी या किसी कृत्रिम साधन (AI) से बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि जनता हर दिन चुनौतियों का सामना करती है और इतनी जल्दी अपना मन बदलती नहीं है।

चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी उन्होंने सवाल उठाए। ठाकरे ने कहा, "हम सिर्फ बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चुनाव आयोग से जवाब चाहते हैं। हाल ही में हमने विरोध प्रदर्शन किया और अधिकारियों के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।"

एनडीए की जनसभाओं में खाली कुर्सियों की ओर इशारा करते हुए ठाकरे ने कहा कि सिर्फ 10 हजार रुपये देना किसी भी तरह का निर्णायक असर नहीं डाल सकता। उनका मानना है कि जनता इतनी जल्दी अपना मन नहीं बदलती। उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव में हुई हार की तुलना करते हुए कहा कि बिहार में भी कुछ इसी तरह की रणनीति अपनाई गई।

जब उनसे रोहिणी आचार्य मामले पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, तो ठाकरे ने इसे लालू और तेजस्वी यादव परिवार का मामला बताया और कहा कि पारिवारिक मामलों पर उनकी कोई टिप्पणी नहीं होगी।