गढ़चिरौली: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में कुख्यात माओवादी नेता मल्लौजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू ने अपने 60 साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। सोनू पर एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। इस घटना के बाद अबूझमाड़ में माओवादी गतिविधियों को बड़ा धक्का लगा है।
भाकपा-माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू ने मंगलवार (14 अक्टूबर) को अपने साथियों के साथ हथियार डाल दिए। अधिकारियों के अनुसार, इस समूह में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति का एक सदस्य और एक संभागीय समिति के 10 सदस्य शामिल हैं। यह कदम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे निरंतर अभियानों का परिणाम है।
सोनू को माओवादी संगठन के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था। उन्होंने महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों की निगरानी की और अपने बड़े भाई, शीर्ष माओवादी नेता किशनजी की मौत के बाद पश्चिम बंगाल में लालगढ़ आंदोलन के दौरान ऑपरेशन ग्रीन हंट के खिलाफ सीपीआई (माओवादी) की सशस्त्र प्रतिरोध की कमान संभाली थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सोनू को माओवादी कार्यकर्ताओं के बड़े हिस्से का समर्थन हासिल था, विशेषकर छत्तीसगढ़ और मध्य भारत के घने जंगलों में सक्रिय रहे उनके उत्तर और पश्चिम उप-क्षेत्रीय ब्यूरो से। सितंबर में सोनू ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हथियार डालने की जानकारी दी थी। इसके अलावा, उन्होंने 15 अगस्त को मौखिक और लिखित बयान जारी कर युद्धविराम के लिए अपनी तैयारियों का संकेत दिया।
सुरक्षाबलों का नक्सलियों पर लगातार एक्शन जारी है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र में आठ सक्रिय माओवादी गिरफ्तार किए गए, जिनमें तीन पर तीन लाख रुपए का इनाम घोषित था। इनसे टिफिन बम, डेटोनेटर, सेफ्टी फ्यूज, कार्डेक्स वायर, बैटरी, बिजली के तार, जमीन खोदने के औजार और शासन विरोधी पाम्पलेट बरामद हुए।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोनू और उनके साथियों के आत्मसमर्पण से नक्सली संगठन को गंभीर आंतरिक संकट का सामना करना पड़ेगा और इसे केंद्र और राज्य सरकारों की नक्सल नियंत्रण नीतियों की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।