पंजाब में सुलह का 3 सूत्रीय फॉर्मूला, दो डिप्टी CM, नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ सिद्धू संभाल सकते हैं प्रचार समिति की कमान

चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस विवाद सुलझाने के लिए सीएम अमरिंदर सिंह से मुलाकात के बाद तीन सदस्यीय कमिटी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। सूत्रों के अनुसार, पंजाब में बगावत थामने के लिए पैनल तीन सूत्रीय फॉर्म्युले की सिफारिश कर सकता है। तीन सूत्रीय फॉर्म्युला यानी- दो डेप्युटी सीएम और नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव। इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू को प्रचार समिति का प्रमुख बनाए जाने की चर्चा भी है।

तीन सदस्यीय समिति में शामिल कांग्रेस के पंजाब प्रभारी ने कहा, ‘हमें सबकी राय मिल चुकी है। हमारी अध्यक्ष 2-3 दिन के लिए बाहर जा रही हैं जब वो आएंगी फिर हम रिपोर्ट जमा करेंगे।’ पंजाब की सियासत पिछले कई दिनों से उफान पर है। चुनाव से ठीक पहले पंजाब कांग्रेस दो गुटों में बंटी नजर आ रही है। एक तरफ है अमरिंदर कैंप तो दूसरी तरफ सिद्धू कैंप। सीएम को कुर्सी को हटाने की मांग होने लगी। कहीं मामला हाथ से निकल न जाए, ऐसे में सेंट्रल हाई कमान को बीचबचाव के लिए आगे आना पड़ा।

दरअसल पंजाब के दलित समाज की सरकार से बढ़ती दूरियां कांग्रेस के लिए नई चुनौती बन गई है। दलित समाज की आबादी पंजाब में 32 फीसदी के करीब है और अक्सर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि पंजाब सरकार में दलितों को सही जगह नहीं दी जा रही है। दूसरी ओर अकाली दल, बीजेपी और आम आदमी पार्टी दलित सीएम और दलित डेप्युटी सीएम का वादा कर रहे हैं। इसका मतलब निकाला जा रहा है कि इस समुदाय के नेता चुनाव से पहले कांग्रेस के शासन में उचित भूमिका की मांग कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कैप्टन हाई कमान को पहले ही इस रुख से अवगत करा चुके हैं कि डेप्युटी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सिख समुदाय से किसी को देने से अच्छा संकेत नहीं जाएगा, चूंकि इस समाज से ही सीएम खुद भी हैं। ऐसे में राजनीतिक और सामाजिक समीकरण एक साथ साधने की कोशिश पर विचार किया जा सकता है।

इसके अलावा पंजाब में कैबिनेट विस्तार या फेरबदल के साथ ही पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव भी पेंडिंग है। पार्टी हाईकमान किसी ऐसे उम्मीदवार की खोज में है जिसकी दोनों ही खेमे के बीच स्वीकार्यता हो। वर्तमान अध्यक्ष सुनील जाखड़ अमरिंदर खेमे के माने जाते हैं।

सिद्धू संभाल सकते हैं प्रचार समिति की कमान


इसके अलावा प्रचार समिति को लेकर सिद्धू के नाम की चर्चा है। दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव के बाद सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से ही वह लगातार उपेक्षित चल रहे हैं और अपनी ही सरकार को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं। वर्तमान में जो विवाद इतना आगे बढ़ा है उसके पीछे भी सिद्धू का ही हाथ माना जा रहा है।

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