संगरूर। नगर कौंसिल में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। नगर कौंसिल चुनाव में बहुमत हासिल करने में नाकाम रहने के महज पांच माह बाद ही आठ आप पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले कड़ी जोड़-तोड़ के जरिए कौंसिल पर कब्जा जमाने में AAP सफल हुई थी।
पंजाब में पार्टी के शासन होने और हलका विधायक, नगर कौंसिल प्रधान समेत अन्य पदों पर आप के कब्जे के बावजूद संगरूर में पार्टी की स्थिति कमजोर नजर आ रही है। सीनियर उपप्रधान, उपप्रधान समेत आठ पार्षदों के इस्तीफे के 24 घंटे बाद भी हाईकमान की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे नगर कौंसिल में आप अल्पमत में पहुंच गई है।
कौंसिल प्रधान की कुर्सी सुरक्षित
नगर कौंसिल प्रधान को हटाने के लिए कम से कम 21 पार्षदों की एकजुटता आवश्यक है। फिलहाल, प्रधान की कुर्सी सुरक्षित मानी जा रही है।
पार्टी छोड़ने वाले पार्षद
नगर कौंसिल चुनाव में AAP को सात, कांग्रेस को नौ, भाजपा को तीन और दस स्वतंत्र पार्षदों को सीटें मिली थीं। चुनाव के बाद पांच स्वतंत्र पार्षदों ने AAP का समर्थन लिया था, जिससे पार्टी की संख्या 12 तक पहुंच गई थी। नगर कौंसिल प्रधान भूपिंदर सिंह नहल को बनाने के लिए दो विधायकों और दो स्वतंत्र पार्षदों का समर्थन भी मिला था।
आजाद पार्षदों का समर्थन वापस
अब आठ पार्षदों के इस्तीफे के बाद पार्टी के पास केवल चार पार्षद रह गए हैं। साथ ही, पहले नगर कौंसिल प्रधान बनाने में समर्थन देने वाले दो स्वतंत्र पार्षदों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया है। उनका कहना है कि शहर का कोई विकास नहीं हुआ और समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने समर्थन वापस लिया।
इस बदलाव के साथ अब नगर कौंसिल में आजाद पार्षदों की संख्या 13 हो गई है, जबकि कांग्रेस के पास नौ और भाजपा के पास तीन पार्षद हैं। इस राजनीतिक बदलाव के बाद कौंसिल में गठबंधन का नया समीकरण बन सकता है और AAP के लिए नगर में पकड़ कमजोर हो गई है।