शंभू बाॅर्डर पर 10 माह से आंदोलन कर रहे किसान आज दिल्ली कूच कर रहे हैं। वहीं देश की सबसे सक्रिय किसान जत्थेबंदी भाकियू एकता उगराहां का इससे अलग बयान है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि हर मुद्दे को लेकर दिल्ली जाकर आंदोलन करना वाजिब नहीं है और व्यवहारिक तौर पर यह आसान भी नहीं है।
उगराहां ने कहा कि गंभीर मुद्दे पर दिल्ली जाकर आंदोलन करना उचित है और ऐसे आंदोलन को देशभर से हरेक वर्ग का समर्थन भी मिलता है । दिल्ली जाकर आंदोलन करना कोई सामान्य बात नहीं है बल्कि दिल्ली के आंदोलन इतिहास रचते हैं और मिसाल बनते हैं। तीन कृषि कानून वापस करवाने के लिए किया आंदोलन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
बिना ठोस योजना के दिल्ली कूच सही नहीं
उन्होंने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनवाना बेशक नामुमकिन नहीं है लेकिन इतना भी आसान नहीं है कि बिना किसी ठोस योजना के दिल्ली कूच किया जाए। उगराहां ने कहा कि आज सबसे जरूरी तो केंद्र की ओर से मध्य नवंबर में राज्यों को भेजे नेशनल पालिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्चर मार्केटिंग मसौदे पर मंथन करके संघर्ष का शंखनाद करने की है। इस मसौदे में खेती कानूनों की तर्ज पर नये प्रावधान तय किए गए हैं। जिससे सीधे तौर पर किसानी हित प्रभावित होंगे।
खेती सेक्टर को निजी हाथों में सौंपने की योजना को रोकने के लिए देशभर के किसान एकजुट होने चाहिए। उगराहां ने कहा कि विश्लेषक उनकी इस सोच को किसान आंदोलन में मतभेद की संज्ञा दे रहे हैं जबकि यह शत प्रतिशत कड़वा सत्य है। उन्होंने कहा कि उनका संगठन मुद्दों पर सहमत है लेकिन आंदोलन के तरीके के साथ नहीं है।