चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनावों को लेकर छात्रों और प्रशासन के बीच जारी तनाव के बीच पीयू बचाओ मोर्चा की चार प्रमुख मांगें मान ली गई हैं। मोर्चा के नेताओं ने विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात की, जिसमें उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया गया। हालांकि छात्र लिखित आश्वासन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, और तब तक उनका धरना जारी रहेगा।

छात्रों की पहली मांग थी कि कुलपति लिखित रूप में आश्वासन दें कि नई सीनेट के चुनाव पूरी प्रक्रिया के दौरान कोई नया निर्णय नहीं लिया जाएगा और पुराने निर्णयों की समीक्षा नई सीनेट करेगी। दूसरी मांग में पिछले प्रदर्शनों से जुड़े सभी मुकदमे वापस लेने की बात शामिल थी। तीसरी मांग में स्पीकर अनुमति देने वाली वेटिंग कमेटी और पीयूसीएससी से संबंधित एसओपी रद्द करने की मांग थी, जबकि चौथी मांग में भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नीति का पूर्ण पालन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया।

छात्र नेताओं ने कहा कि अगर प्रशासन और केंद्र सरकार ने देरी की नीति अपनाई और मांगें पूरी नहीं कीं, तो कैंपस में सामान्य कामकाज, परीक्षाएं और प्रशासनिक कार्य रोकने की योजना है। उन्होंने बताया कि मोर्चा पूरी तरह संगठित है और जनसमूह तक अपनी बात पहुंचाने की तैयारियों में जुटा है।

मुलाकात में छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांगपत्र प्रस्तुत किया। छात्रों ने माना कि इस बड़े स्तर के आयोजन में कई व्यवस्थागत कमियां थीं और उन्होंने उन संगठनों से माफी मांगी जिन्हें पर्याप्त मंच नहीं मिल सका। भविष्य में आयोजन को और बेहतर तरीके से आयोजित करने का वादा किया गया।

मोर्चा ने पंजाब पुलिस की कैंपस में तैनाती और प्रदर्शनकारियों को रोकने की कार्रवाई की कड़ी निंदा की और राज्य सरकार से जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस आंदोलन में सोपू, स्टूडेंट्स फ्रंट, एसएफएस, पीएसयू ललकार, एनएसयूआई, एंटी एफिडेविट फ्रंट, सत्थ, पंजाबनामा, आइसा, एसडब्ल्यूएपी, एसैप, सोई, यूएसओ, पीएफयूएस, आईएसओ और एएसएफ जैसे छात्र संगठन शामिल थे।