हमीरपुर जिले में दुष्कर्म की शिकार 16 वर्षीय नाबालिग पीड़िता की एक माह तक जीवन और मौत के बीच जूझने के बाद गुरुवार रात करीब दो बजे लखनऊ मेडिकल कॉलेज में सांसें टूट गईं। 28 अक्टूबर की रात घर में घुसकर तीन युवकों (एक नाबालिग सहित) पर उसके साथ दुष्कर्म कर तेजाब पिलाने का आरोप था। इसके बाद से पीड़िता का पूरा उपचार सफर अनिश्चितता, अव्यवस्था और लापरवाही में उलझा रहा। छह अस्पतालों की दौड़, सात बार रेफर, कहीं बेड नहीं, कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं पैसा नहीं।

हर मोड़ पर परिवार टूटता गया और सिस्टम लाचार होता रहा। हालत गंभीर होने के बावजूद लखनऊ मेडिकल कॉलेज में उसे तीन दिन तक स्ट्रेचर पर रखा गया। बुधवार को उसे बेड मिला, पर खून की कमी और देर से मिले इलाज ने गुरुवार रात उसकी सांसे छीन लीं। आरोप है कि 28 अक्टूबर की रात पीड़िता घर में सो रही थी, तभी गांव के एक नाबालिग समेत तीन युवक घर में घुसे और उसके साथ दुष्कर्म कर तेजाब पिला दिया। परिजन उसे तुरंत सरीला सीएचसी ले गए, जहां से झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।

पीड़िता ने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप दोहराया था

झांसी में करीब 12 दिन तक इलाज चला। हालत में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने उसे पहली बार झांसी से पीजीआई लखनऊ रेफर किया, लेकिन वहां लंबा चौड़ा खर्च बताया गया। इसके बाद वह झांसी से उसे हमीरपुर जिला अस्पताल लेकर आए, जहां पीड़िता ने मीडिया के सामने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप दोहराया। मामला सामने आने पर उसे जिला अस्पताल से कानपुर हैलट रेफर किया गया, यहां लगभग 15 दिन तक उपचार चलता रहा। हालत लगातार गंभीर बनी रही।

पीड़िता को लखनऊ मेडिकल कॉलेज भेज दिया

इसलिए चिकित्सकों ने दूसरी बार कानपुर हैलट से पीजीआई लखनऊ रेफर कर दिया। पीजीआई में दो दिन तक उपचार चला और हल्का सुधार भी दिखाई दिया, लेकिन डॉक्टरों ने सर्जरी के लिए पिता से दो लाख रुपये जमा करने को कहा। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पिता रकम जमा नहीं कर सके। पैसों की व्यवस्था न होने पर पीड़िता को लखनऊ मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। यहां भी हालत में सुधार नहीं हुआ। उसे तीन दिन तक स्ट्रेचर पर रखा गया, लेकिन बेड मिला, न वार्ड, न तत्काल इलाज। बुधवार दोपहर करीब तीन बजे उसे सर्जरी वार्ड में शिफ्ट किया गया।

मौत के समय माता-पिता वहीं मौजूद थे

डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के शरीर में मात्र चार पॉइंट खून है, तुरंत रक्त चढ़ाना जरूरी है। गुरुवार पूरे दिन अस्पताल में खून उपलब्ध नहीं हो सका। बाद में जलालपुर इंस्पेक्टर अजीत सिंह ने अस्पताल स्टाफ से बात कर रक्त की व्यवस्था कराई। रात में दो यूनिट रक्त चढ़ाया गया लेकिन देर हो चुकी थी। रात लगभग एक बजे उसे सांस लेने में दिक्कत हुई, मशीन लगाई गई, नली डाली गई और करीब दो बजे उसकी हालत बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया। मौत के समय माता-पिता वहीं मौजूद थे।

पिता का हृदयविदारक बयान

मेरी बेटी कई दिन स्ट्रेचर पर पड़ी रही। अगर समय पर भर्ती हो जाती, इलाज मिल जाता, तो वह बच जाती। जिस दिन इलाज शुरू हुआ, उसी रात बेटी खत्म हो गई। 28 अक्टूबर की रात से मैं घर नहीं गया। मौत से कुछ घंटे पहले गुरुवार शाम लखनऊ पुलिस की एक इंस्पेक्टर व महिला उपनिरीक्षक ने अस्पताल पहुंचकर बच्ची का बयान दर्ज किया था। पुलिस अधीक्षक दीक्षा शर्मा ने कहा पीड़िता को सर्जरी वार्ड में शिफ्ट कराया गया। बेड और ब्लड की व्यवस्था भी कराई गई थी, इलाज जारी था। इंस्पेक्टर अजीत सिंह ने बताया कि पीड़िता का पोस्टमार्टम लखनऊ में कराया जा रहा है और परिवार वहीं मौजूद है।