बुलंदशहर: 28 जुलाई 2016 की रात नेशनल हाईवे-91 पर घटी शर्मनाक घटना में गाजियाबाद के एक परिवार के साथ सामूहिक दुष्कर्म और लूटपाट करने वाले पांच आरोपियों को आज विशेष पॉक्सो अदालत ने उम्रकैद की सजा और 1.81 लाख रुपये का अर्थदंड सुनाया। विशेष न्यायाधीश ओपी वर्मा ने प्रत्येक दोषी को यह सजा सुनाई। अर्थदंड की राशि का आधा हिस्सा पीड़ित किशोरी और उसकी मां को दिया जाएगा।

इस मामले में पीड़ित परिवार ने आरोपियों को फांसी की सजा की मांग की थी। सजा सुनाते समय एडीजीसी वरुण कौशिक ने कहा कि ऐसे दरिंदों को समाज से दूर रखना ही न्याय है। वहीं, सजा सुनाए जाने के बाद आरोपियों ने अदालत में खुद को निर्दोष ठहराने का दावा किया।

मामले की पृष्ठभूमि
घटना के समय छह सदस्यीय परिवार शाहजहांपुर में अपने पैतृक गांव की तेरहवीं में शामिल होने के लिए जा रहा था। देहात कोतवाली क्षेत्र के दोस्तपुर फ्लाईओवर के पास अज्ञात आरोपियों ने उनकी कार को रोका और उन्हें कार समेत खेत में ले जाकर बंधक बनाया। आरोपियों ने तीन पुरुषों के हाथ-पैर बांध दिए और 14 वर्षीय किशोरी तथा उसकी मां के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद सभी से लूटपाट कर आरोपियों ने फरार हो गए।

जांच और गिरफ्तारी
घटना के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस की लापरवाही सामने आई। इस पर एसएसपी समेत 17 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई। प्रारंभिक जांच में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें बाद में निर्दोष पाया गया। उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई ने जांच संभाली। जांच में बावरिया गिरोह के आरोपियों जुबैर (सुनील/परवेज), सलीम (बीना/दीवानजी), साजिद (इटखारी बिनौरा), रहीसुद्दीन, जावेद (शावेज) और जबर सिंह के नाम सामने आए।

सीबीआई ने तीन मुख्य आरोपियों जुबैर, सलीम और साजिद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जबकि अन्य तीन के नाम साक्ष्यों के अभाव में अलग कर दिए गए। 11 अप्रैल 2017 को आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किए गए थे।

मृत्यु और एनकाउंटर
इस मामले में एक आरोपी पहले ही जेल में बीमारी के कारण मृत हो चुका है, जबकि दो अन्य आरोपियों को अलग-अलग मामलों में नोएडा और हरियाणा पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था।