मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव में मतदान के बाद सियासी कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया है। मुकाबला रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल और सपा प्रत्याशी सुम्बुल राना के बीच सिमटता हुआ नजर आया। बसपा और आसपा प्रत्याशियों के बीच तीसरे नंबर की लड़ाई दिखी। मुस्लिम मतों की अधिकता वाले गांव के मत प्रतिशत से नतीजे तय होने के आसार बन गए हैं।

बुधवार सुबह सात बजे ठंड के बीच सियासी पारा खूब उफान पर रहा। प्रत्याशी सुबह से ही मतदान केंद्रों भ्रमण पर निकल गए। अति पिछड़ा वर्ग और जाट मतों की अधिकता वाले गांव में रालोद प्रत्याशी के पक्ष में रुझान नजर आया। भोकरहेड़ी, करहेड़ा, बेलड़ा समेत अन्य गांवों में रालोद प्रत्याशी के पक्ष में मतदाताओं की लामबंदी दिखी।
मुस्लिम मतों की अधिवक्ता वाले ककरौली, सीकरी, मीरापुर, जटवाड़ा, जौली में सुबह मुस्लिम मतदाता सपा, बसपा और आसपा के बीच बंटते नजर आए। लेकिन हंगामा होने और ककरौली में पथराव के बाद मुस्लिम मतों की लामबंदी सपा प्रत्याशी के समर्थन में अधिक दिखी।
सीकरी में मतदाताओं के बीच सपा प्रत्याशी सुम्बुल राना और आसपा प्रत्याशी जाहिद हुसैन पहुंच गए। यहां भी शाम होते-होते मुस्लिम मतदाता सपा के पाले में खड़े नजर आए। आसपा ने आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ा, लेकिन एन वक्त पर मुस्लिम मतदाता छिटके हुए नजर आए।
बिखर गए अनुसूचित जाति के मतदाता
मीरापुर सीट के उपचुनाव में अनुसूचित जाति के मतदाताओं में बिखराव नजर आया। युवाओं ने आसपा को तरजीह दी, जबकि अन्य मतदाताओं की पहली पसंद बसपा नजर आई। भाजपा-रालोद गठबंधन के हिस्से में भी दलित मतदाता आए। कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बीच प्रचार के दौरान काम किया था, जिसका असर भी दिखा। सपा यहां पर दलित-मुस्लिम फार्मूला बनाने में कामयाब होती नजर नहीं आई।
गुर्जरों के बंटवारे पर सबकी निगाह
विधानसभा में गुर्जर मत निर्णायक रहे हैं। मुस्लिमों के साथ मिलकर कई बार समीकरण बनाए और दूसरों के बिगाड़ भी दिए। इस बार देखने वाली बात यह होगी कि गुर्जर मतों की अधिकता वाले गांवों में मतदान का क्या रुझान रहा। 23 नवंबर को नतीजे सामने आते ही यह साफ हो जाएगा कि रालोद और सपा में से गुर्जर मतदाता किसके हिस्से में सबसे ज्यादा आते हैं। आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर ने भी गुर्जर मतों को साधने के लिए प्रयास किया था।