मुजफ्फरनगर। समाजवादी पार्टी के सांसद हरेंद्र मलिक ने जिले में भूमि माफियाओं की सक्रियता को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार द्वारा उपजिलाधिकारी (एसडीएम) निकिता शर्मा के खिलाफ लिखे गए पत्र की प्रक्रिया उचित नहीं रही। यदि कोई गंभीर विषय था, तो मुख्यमंत्री से मिलकर बात रखनी चाहिए थी या फिर जिलाधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहिए था। अब यह मामला जातीय तनाव की दिशा में बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। एसडीएम के पक्ष में जिस प्रकार समर्थन जुटाने की कोशिश की गई है, वह सेवाकालीन आचार संहिता का उल्लंघन प्रतीत होता है।
एसडीएम पर लगे आरोपों और उनकी जांच को लेकर मलिक ने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी से कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली बार देखा गया है कि एक कैबिनेट मंत्री द्वारा एसडीएम पर सीधे आरोप लगाए गए हैं और अधिकारी की ओर से जवाब भी बहुत हल्के स्तर पर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अब एसडीएम के कुछ समर्थक भी आरोप लगाने लगे हैं, ऐसे में दोनों पक्षों की गहन जांच जरूरी हो गई है। पूरे घटनाक्रम ने जिले में सामाजिक तनाव की स्थिति पैदा कर दी है, जिसे गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच के माध्यम से सुलझाया जाना आवश्यक है।
जांच की जिम्मेदारी एडीएम प्रशासन को
डीएम उमेश मिश्रा ने एसडीएम निकिता शर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच की जिम्मेदारी एडीएम प्रशासन संजय कुमार सिंह को सौंपी है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि जांच जल्द पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाए।
क्या कहा था कैबिनेट मंत्री ने
पुरकाजी सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक और कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया था कि एसडीएम निकिता शर्मा का व्यवहार जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों के प्रति अनुचित है। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया कि उन्होंने कथित रूप से भूमि माफियाओं के साथ मिलकर अवैध प्लाटिंग कराई है, जिससे आमजन में रोष है। उन्होंने एसडीएम का स्थानांतरण किसी अन्य स्थान पर करने और जमीन से संबंधित अवैध गतिविधियों की जांच के आदेश देने की मांग की थी।
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