मुजफ्फरनगर। शहर कोतवाली क्षेत्र में दो साल पहले सहेली के घर चंदे के 10 रुपये लेने गई 12 साल की बालिका से यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी सलीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। पीड़िता के मुंह पर टेप चिपकाकर तीन घंटे बाथरूम में दुष्कर्म किया गया था। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय/विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) कोर्ट संख्या-एक की पीठासीन अधिकारी मंजुला भालोठिया ने फैसला सुनाया।

वारदात 15 जुलाई को हुई और मुकदमा 24 जुलाई 2023 को पीड़िता की मां की ओर से दर्ज कराया गया था। कारी के घर मजहबी तालीम का ट्यूशन पढ़ने के दौरान बैठने के लिए चटाई खरीदी जानी थी। इसके लिए बच्चे दस-दस रुपये चंदा इकट्ठा कर रहे थे।

पीड़िता अपने घर से 60-70 मीटर दूर सलीम के घर 10 रुपये लेने चली गई। आरोपी घर में अकेला था, उसने बालिका को घर में बुलाकर दरवाजा बंद कर लिया और बाथरूम में ले जाकर तीन घंटे तक दरिंदगी की थी। घटना का जिक्र करने पर जान से मारने की धमकी दी गई।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोपपत्र दाखिल किया। विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) में सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से सात गवाह पेश किए गए। अदालत ने बृहस्पतिवार को आरोपी पर दोष सिद्ध किया।

दोषी को यौन उत्पीड़न एवं पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास (अभियुक्त के शेष प्राकृतिक जीवन काल तक के लिए ) 53 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड पीड़िता को प्रतिकर के रूप में प्रदान किया जाएगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए गए कि पीड़िता प्रतिकर योजना के अंतर्गत पीड़िता को प्रतिकर प्रदान की जाए। धारा 452 के आरोपों से दोषमुक्त किया गया।

मकान की रंजिश बताकर बचता रहा दोषी

ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष की ओर से मामले को मकान की रंजिश का बताया गया। तर्क दिया गया कि सलीम ने वादी पक्ष के करीब का मकान खरीदा था, जिसकी रंजिश में यह मुकदमा दर्ज कराया गया। अदालत ने इस तथ्य को खारिज कर दिया और साक्ष्यों के आधार पर दोषी को सजा सुनाई।

चिकित्सीय साक्ष्य पर भारी पड़ी आपबीती

विश्लेषण में बचाव पक्ष की ओर से दिए गए चिकित्सीय साक्ष्य पर पीड़िता की आपबीती भारी पड़ गई। माना गया कि जिस तरह पीड़िता ने घटनाक्रम बयान किया है वह गढ़ा जाना अत्यंत कठिन है। वहीद खान बनाम मध्य प्रदेश और महमूद बनाम उत्तर प्रदेश के विधिक सिद्धांतों का हवाला भी दिया गया।

मां की हिम्मत से मिला न्याय, जेल गया दोषी

पीड़िता अपने घर तीन घंटे बाद लौटी तो गुमसुम थी। पहले दिन मां समझ नहीं पाई। अदालत में प्रतिपरीक्षा में यह भी बताया कि मकान मालिक ने उसकी मां को पहले बता दिया था। इसके बाद मां ने उससे पूछा। वह मदरसे गई लेकिन मौलवी उसे देखते रहे और पूछा कुछ नहीं था।