उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंगलवार को लोक भवन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान सीतापुर के जिला कृषि अधिकारी मनजीत कुमार को निलंबित करने की घोषणा की। मंत्री ने बताया कि इफको केंद्रों के निरीक्षण में गंभीर लापरवाही बरतने और मार्च के बाद कोई निरीक्षण न करने के कारण यह कार्रवाई की गई है। साथ ही खाद की दुकानों पर पाई गई अनियमितताओं के लिए भी उन्हें जिम्मेदार माना गया है।
खाद दुकानों पर गड़बड़ी, कई दुकानदार भागे
सोमवार को मंत्री शाही ने जिले की विभिन्न खाद दुकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें कई स्थानों पर अनियमितताएं उजागर हुईं। कुछ दुकानदार छापा पड़ते ही दुकान छोड़कर फरार हो गए। कार्रवाई के दौरान चार दुकानों को सीज कर उनके नमूने लिए गए। साथ ही, जैन इंटरप्राइजेज और मेसर्स बालाजी एग्रो ट्रेडर्स के लाइसेंस निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं। फरार दुकानदारों के प्रतिष्ठानों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए हैं।
सहकारिता विभाग भी सवालों के घेरे में
कार्रवाई के दौरान मंत्री को किसानों से यह जानकारी मिली कि सहकारी समितियों पर खाद की उपलब्धता न होने के कारण उन्हें निजी दुकानों की ओर रुख करना पड़ता है, जहां उन्हें अधिक दाम पर खाद खरीदनी पड़ती है। खरीफ सीजन में खाद की बढ़ती मांग के बावजूद सरकारी व्यवस्था विफल नजर आई। मंत्री ने सिधौली और सकरन ब्लॉक में निरीक्षण के दौरान किसानों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं।
लंबे समय से जमे कर्मचारी और मिलीभगत के आरोप
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, कृषि विभाग में वर्षों से तैनात एक कर्मचारी की थोक और फुटकर विक्रेताओं से सांठगांठ की चर्चा है। आरोप है कि इसी वजह से खाद की कालाबाजारी हो रही है और किसानों से प्रति बोरी ज्यादा रकम वसूली जाती है, जिसका लाभ जिम्मेदार अधिकारियों को भी मिलता है।
नकली खाद फैक्ट्रियों पर भी सवाल
गांजरी क्षेत्र में चल रही कथित नकली खाद फैक्ट्रियों पर भी सवाल उठे हैं। सूत्रों के अनुसार विभागीय संरक्षण में यह कारोबार फल-फूल रहा है। हाल ही में एक खाद फैक्ट्री पर छापेमारी हुई थी, लेकिन उसके बाद जांच में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
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