लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के बीच तीखी बहस देखने को मिली। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस ने जवाब में कहा कि पीएम का भाषण इतिहास को फिर से लिखने और उसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश थी।

गौरव गोगोई का आरोप

कांग्रेस के डिप्टी लीडर गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री जब भी सदन में बोलते हैं, वे नेहरू और कांग्रेस का बार-बार जिक्र करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान मोदी ने नेहरू का नाम 14 और कांग्रेस का नाम 50 बार लिया। इसी तरह, संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा में नेहरू का नाम 10 और कांग्रेस का नाम 26 बार लिया गया।

कांग्रेस ने वंदे मातरम को दी अहमियत

गोगोई ने यह भी कहा कि वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा देने में कांग्रेस का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि 1896 में कलकत्ता अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार वंदे मातरम गाया और 1905 के बनारस अधिवेशन में सरला देवी चौधरानी ने इसे 30 करोड़ आबादी के लिए गाने का बदलाव किया। उनके अनुसार, कांग्रेस ने सुनिश्चित किया कि वंदे मातरम सिर्फ राजनीतिक नारा न रहकर पूरे देश का प्रतीक बने।

इतिहास को बदलने और राजनीतिक रंग देने का आरोप

गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण के दो उद्देश्य थे—पहला इतिहास को बदलना और दूसरा इस बहस को राजनीतिक रूप देना। उन्होंने कहा कि भाषण में कांग्रेस कार्यसमिति और नेहरू का बार-बार उल्लेख करने का मकसद स्पष्ट था। गोगोई ने कहा, “कितनी भी कोशिश कर लें, भाजपा ने नेहरू के योगदान पर कभी धब्बा नहीं लगाया और नहीं लगा सकती।”

कांग्रेस बनाम मुस्लिम लीग

गौरव गोगोई ने यह भी याद दिलाया कि मुस्लिम लीग वंदे मातरम का विरोध करना चाहती थी। लेकिन कांग्रेस के मौलाना आजाद ने इसका समर्थन किया। 1937 के कांग्रेस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि वंदे मातरम के पहले दो पद राष्ट्रीय अधिवेशन में गाए जाएंगे, जिससे कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच फर्क स्पष्ट हुआ।