उद्धव ठाकरे की शिवसेना में भीतरघात? बीजेपी नेता का दावा- कई विधायक-सांसद संपर्क में

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता को लेकर उठे विवाद के बीच बीजेपी नेता और राज्य सरकार में मंत्री गिरीश महाजन ने रविवार को उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि पार्टी के कई सांसद और विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं और उन्हें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर अब भरोसा नहीं रहा। महाजन ने उद्धव ठाकरे को ‘पलटीबहादुर’ करार दिया।

त्रिभाषा नीति पर साझा मंच के बाद आई प्रतिक्रिया

गिरीश महाजन की यह टिप्पणी ऐसे समय पर सामने आई है जब उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे हाल ही में एक मंच पर साथ आए थे। दोनों नेताओं ने राज्य सरकार द्वारा हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के कदम का विरोध किया था और त्रिभाषा नीति के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी।

महाजन का आरोप: “ठाकरे की विश्वसनीयता खत्म”

बीजेपी मंत्री ने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे अक्सर अपनी बातों से पलट जाते हैं और उनका व्यवहार अनुभवहीन नेता जैसा है। उन्होंने कहा, “आज भी शिवसेना (यूबीटी) के कई विधायक और सांसद मेरे संपर्क में हैं। यदि किसी को विश्वास नहीं है तो वह आने वाले समय में यह खुद देख लेगा।”

महाजन ने यह भी कहा कि सत्ता की लालसा में उद्धव ठाकरे ने अपने पिता, शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की विचारधारा को त्याग दिया, जिससे उनका राजनीतिक भविष्य अधर में चला गया।

खुद के फैसले से मुकरने का आरोप

गिरीश महाजन ने यह दावा भी किया कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने खुद ही हिंदी भाषा को लागू करने संबंधी कैबिनेट प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और उस फाइल पर उनके हस्ताक्षर भी थे। उन्होंने कहा कि अब उसी निर्णय का विरोध करना, ठाकरे की “यू-टर्न” राजनीति का प्रमाण है। उन्होंने दोहराया कि यह विरोध केवल मौजूदा सरकार की आलोचना करने के लिए किया जा रहा है, न कि किसी ठोस सिद्धांत के आधार पर।

त्रिभाषा नीति की पृष्ठभूमि

गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले महीने दो सरकारी प्रस्तावों को वापस लेते हुए यह आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री रहते हुए उद्धव ठाकरे ने रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों पर आधारित त्रिभाषा फार्मूले को स्वीकार किया था और इसके कार्यान्वयन के लिए समिति भी गठित की गई थी। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने केवल एक अध्ययन समूह का गठन किया था, जिसने कभी बैठक ही नहीं की।

जनता देगी अंतिम फैसला

गिरीश महाजन ने कहा कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव—जैसे जिला परिषद, पंचायत समिति और नगर निगम चुनाव—यह तय करेंगे कि जनता किस नेता पर कितना भरोसा करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में बने रहने की चाह में उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर बाल ठाकरे की हिंदुत्व आधारित राजनीति से दूरी बना ली, जिससे उनके राजनीतिक करियर को भारी नुकसान पहुंचा है।

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