सात अगस्त को साल का दूसरा चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा। यह दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर पड़ रहा है, जिससे पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, दान और श्राद्ध की परंपराएँ भी शुरू होंगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, रविवार को लगभग 12 घंटे तक सूतक काल रहेगा, जिसके दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। आचार्य डॉ. सुशांत राज के अनुसार, यह पूर्ण चंद्रग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक चलेगा और भारत में भी दिखाई देगा।

उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि सूतक काल ग्रहण शुरू होने से लगभग नौ घंटे पहले से लागू हो जाता है। इस बार यह रविवार दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण समाप्ति तक जारी रहेगा। इस दौरान पूजा-पाठ से बचना चाहिए और देवी-देवताओं की मूर्तियों को छूने से परहेज़ करना चाहिए। साथ ही तुलसी के पत्ते तोड़ने की भी मनाही है।

विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को चंद्रग्रहण के नियमों का पालन करने पर ध्यान देने की सलाह दी गई है। रविवार से ही पितृ पक्ष की परंपराएं शुरू हो जाएंगी।