हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार और देवताओं के दिव्य महलों, रथों तथा अस्त्र-शस्त्रों का निर्माता माना जाता है। हर साल भाद्रपद मास के अंत में सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। यह दिन खास तौर पर कर्मचारियों, कारीगरों और उद्योगपतियों के लिए महत्वपूर्ण होता है। परंपरा के अनुसार इस दिन फैक्ट्रियों, कार्यशालाओं, मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है, ताकि कार्य में उन्नति और समृद्धि बनी रहे।
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पूजा का शुभ समय सुबह 8:15 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक रहेगा। इस अवधि में पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है।
पूजा विधि
- सफाई: सबसे पहले कार्यस्थल, औजारों और मशीनों की अच्छी तरह सफाई करें और उन्हें गंगाजल से शुद्ध करें।
- चौकी स्थापना: लाल या पीले वस्त्र से ढकी चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना: भगवान गणेश का आह्वान कर जल से भरे कलश में सुपारी, सिक्का और फूल रखें।
- पूजन सामग्री: पूजा थाली में रोली, अक्षत, फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप सजाएं।
- आरती व भोग: भगवान विश्वकर्मा की आरती करें, भोग अर्पित करें और अपने औजारों पर रोली-अक्षत लगाकर उनकी पूजा करें।
- मंत्र जाप: पूजा के दौरान “ॐ विश्वकर्मणे नमः” मंत्र का जाप करें।
मान्यता है कि इस पूजा से कामकाज में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, व्यवसाय में वृद्धि होती है और घर-परिवार में धन-धान्य की कमी नहीं रहती।