पिछले तीन सालों में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल काफी बढ़ा है. इसका मुख्य कारण डिजिटल पेमेंट्स का बढ़ता चलन और खर्चों में बढ़ोतरी है. अब ज्यादातर लोग डिजिटल तरीकों से पेमेंट करना पसंद करते हैं, जिससे उनके खर्चों में बढ़ोतरी हुई है.
इस बढ़ते खर्च के साथ ही समय पर क्रेडिट कार्ड के बिल का पेमेंट ना करने के कारण उसके NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) में भी भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI की ओर से जारी किए गए आकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक क्रेडिट कार्ड्स का NPA 28.42% बढ़कर 6,742 करोड़ रुपए पर पहुंच गया. जबकि इससे पहले साल 2023 में यह आंकड़ा 5,250 करोड़ रुपए का था. यानी एक साल में क्रेडिट कार्ड्स का NPA करीब 1,500 करोड़ रुपए बढ़ा है.
डिफॉल्ट किए गए लोन के दर में भी बढ़ोतरी
क्रेडिट कार्ड्स के NPA में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ की दर थोड़ी धीमी हो गई है. दिसंबर 2024 तक, क्रेडिट कार्ड कर्ज पर यह NPA बैंकों के द्वारा जारी कुल 2.92 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का 2.3% है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2.53 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का 2.06% था. इस तरह डिफॉल्ट किए गए लोन के दर में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है.
क्रेडिट कार्ड से जुड़ा NPA 500% बढ़ा
RBI ने इन आकड़ों को इंडियन एक्सप्रेस की ओर से दायर की गई एक RTI (राइट टू इनफार्मेशन) के जवाब में दिया है. दिसंबर 2020 में क्रेडिट कार्ड से जुड़े NPA (डिफॉल्ट) 1,108 करोड़ रुपए था, जो अब 500% से ज्यादा बढ़कर 5,250 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है. यह बढ़ोतरी उस दौरान हुई है, जब बैंकों ने अन्य प्रकार के लोन के NPA में सुधार किया है. पिछले 2 सालों में बैंकों के NPA में काफी कमी आई है, लेकिन पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे लोन में डिफॉल्ट में बढ़ोतरी हुई है.
टाइम पर क्रेडिट कार्ड पेमेंट ना करने पर लगता है भारी इंटरेस्ट
क्रेडिट कार्ड का उपयोग भारत में तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कई फायदे मिलते हैं, जैसे रिवार्ड्स, लोन ऑफर्स और लाउंज बेनिफिट्स. हालांकि, यदि आप बिलिंग साइकल के बाद भी बकाए अमाउंट का पेमेंट नहीं करते हैं, तो बैंक हाई एनुअल इंटरेस्ट वसूलते हैं, जो 42-46% तक हो सकती हैं. इससे न केवल आपकी फाइनेंशियल्स कंडीशन खराब होती है, बल्कि आपके क्रेडिट स्कोर में भी तेजी से गिरावट आती है.