भारतीय चीनी एवं जैव ऊर्जा उत्पादक संघ (ISMA) ने शुक्रवार को बताया कि भारत ने पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य अपने निर्धारित समय से पांच वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया है। यह उपलब्धि उस समय की तुलना में एक बड़ी छलांग है, जब 2014 में इस कार्यक्रम की शुरुआत मात्र 1.5 प्रतिशत मिश्रण दर के साथ हुई थी।
आईएसएमए द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस इथेनॉल मिश्रण योजना से देश को न केवल पर्यावरणीय बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी बड़े लाभ मिले हैं। जहां 2014 में इथेनॉल का उत्पादन महज 38 करोड़ लीटर था, वहीं जून 2025 तक यह आंकड़ा 661 करोड़ लीटर तक पहुंच गया। साथ ही, इस पहल के चलते कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 698 लाख टन की कमी आई है।
इस योजना का सकारात्मक असर किसानों पर भी पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, इससे किसानों को करीब 1.18 लाख करोड़ रुपये की आमदनी हुई, जबकि डिस्टिलरी उद्योग को 1.96 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। इसके अलावा, देश को विदेशी मुद्रा खर्च में लगभग 1.36 लाख करोड़ रुपये की बचत भी हुई है।
आईएसएमए के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने इसे भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और ग्रामीण आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि सरकार की ठोस नीति और दूरदर्शी नेतृत्व ने न सिर्फ इस लक्ष्य को समय से पहले पूरा किया, बल्कि हरित ऊर्जा की दिशा में देश की प्रतिबद्धता को भी मजबूत किया।
संघ के अनुसार, गन्ने के रस, बी-ग्रेड शीरा और अन्य कृषि अपशिष्टों से तैयार इथेनॉल ने देश की इथेनॉल अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दिया है। 2030 तक 20 प्रतिशत मिश्रण का जो लक्ष्य तय किया गया था, उसे समय से पहले हासिल करना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और जीवाश्म ईंधनों के आयात पर निर्भरता घटाने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।