जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के जिहाद पर दिए गए बयानों पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रजवी ने बुधवार को कहा कि बार-बार जिहाद की बातें करना समाज को विभाजित करने और देश की स्थिरता को कमजोर करने जैसा है।
रजवी ने मदनी से सवाल किया कि वे भारत में जिहाद किस तरह से लागू करना चाहते हैं। उनके अनुसार मदनी के बयान से हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को भारी नुकसान हो सकता है और किसी भी क्षेत्र में टकराव होने पर मुसलमानों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
मौलाना रजवी ने स्पष्ट किया कि भारत में न जिहाद जायज़ है और न ही हिजरत, और उन्होंने उच्च धार्मिक विद्वान आला हजरत के फतवों का हवाला दिया। रजवी ने कहा कि आला हजरत ने भारत को 'दर्रुस सलाम' बताया है, यानी यह एक सुरक्षित देश है। जिहाद के लिए कुछ विशेष शर्तें आवश्यक हैं, जो भारत में मौजूद नहीं हैं। भारत एक स्वतंत्र देश है, जहां मुसलमान अपनी धार्मिक आस्थाओं के अनुसार आज़ादी से धार्मिक गतिविधियां कर सकते हैं।
उन्होंने मौलाना मदनी की उस टिप्पणी की भी निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि स्कूलों के पाठ्यक्रमों में जिहाद पढ़ाया जाना चाहिए। रजवी ने कहा कि ऐसा होने पर नई पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ेगा और देश में मतभेद व विरोध बढ़ सकता है। वर्तमान में देश में अमन और शांति का माहौल है, जिसे मदनी के बयान बिगाड़ सकते हैं। रजवी ने कहा कि ऐसे विचार कट्टरपंथी मानसिकता को बढ़ावा देने वाले हैं और अगर ये बढ़ते रहे तो सांप्रदायिक तनाव की आशंका बढ़ सकती है।