झांझवाड़ा के विभिन्न जिलों में कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी और कारोबार के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। लखनऊ एसटीएफ ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह से जुड़े बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया है। आलोक को संगठन और विरोधी दोनों खेमों में ‘एसटीएफ’ नाम से जाना जाता था।
अपराध और नेटवर्क:
आलोक प्रताप सिंह का प्रभाव लखनऊ से लेकर जौनपुर, वाराणसी और चंदौली तक फैला हुआ था। रियल एस्टेट, रेलवे ठेके और खनन जैसे व्यवसायों में उसका दखल था। वह चंदौली के कैथी गांव का रहने वाला है और जौनपुर में शस्त्र लाइसेंस के लिए निवासी भी बना था। उसके नेटवर्क में कई युवा शामिल हैं, जो चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और वाराणसी से जुड़े हैं।
कोडीन सिरप तस्करी की जांच:
एसपी क्राइम राजीव सिंह के नेतृत्व में एसआईटी टीम ने जौनपुर और आसपास के फर्मों की जांच शुरू की। महज एक सप्ताह में पांच फर्मों से 10 करोड़ रुपये मूल्य का कफ सिरप बरामद हुआ। इसके तहत छह फर्मों के पांच संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
अंतरराज्यीय तस्करी और कार्रवाई:
हापुड़ से अवैध सिरप मंगाकर बेचने वाले आजमगढ़ के तीन मेडिकल स्टोर संचालकों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए। जौनपुर एसआईटी ने दो दिनों में सरगना शुभम जायसवाल और अन्य सात फर्म संचालकों के 16 बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं। इसमें गोपाल कटरा ढालघर के हर्ष मेडिकल स्टोर और नईगंज कटघरा की बद्रीनाथ फार्मेसी शामिल हैं।
आलोक की गिरफ्तारी और पृष्ठभूमि:
बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह को मंगलवार सुबह यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। आलोक मूलतः चंदौली के कैथी गांव का रहने वाला है और यहां तक कि उसने केवल सातवीं तक की पढ़ाई पूरी की थी। बाद में वह लखनऊ चला गया और प्रशासनिक एवं अपराध संबंधी नेटवर्क तैयार किया।
पुलिस की तेज कार्रवाई:
एसआईटी ने शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद जायसवाल को कोलकाता से सोनभद्र तक 800 किमी की यात्रा के बाद ट्रांजिट रिमांड पर लाया। पूछताछ अभी जारी है और आरोपी को अदालत में पेश किया जाएगा।