लंदन। भारत के बैंकों को करोड़ों का चूना लगाकर फरार हुए हीरा कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ लंदन की अदालत में बैंक ऑफ इंडिया के केस की सुनवाई स्थगित कर दी गई है। अब सवाल यह है कि नीरव मोदी भारत कब लौटेंगे और इस देरी का क्या मतलब है।

सुनवाई टली: जेल ट्रांसफर और दस्तावेजों की देरी
नीरव मोदी ने अदालत में कहा कि उन्हें अपना बचाव तैयार करने के लिए जरूरी कानूनी दस्तावेज समय पर नहीं मिले। यह स्थिति उनके अक्तूबर 2025 में हुए जेल ट्रांसफर की वजह से बनी। नीरव को दक्षिण लंदन की 'थेम्साइड जेल' से उत्तरी लंदन की 'एचएमपी पेंटनविले जेल' में शिफ्ट किया गया था, लेकिन इस दौरान केस से जुड़े दस्तावेज उनके पास नहीं पहुंचे।

जज साइमन टिंकलर ने नीरव की दलील को महत्वपूर्ण माना और कहा कि बिना दस्तावेज के किसी पर मुकदमा चलाना निष्पक्ष नहीं होगा। इसके चलते जनवरी में होने वाली सुनवाई अब 23 मार्च तक टाल दी गई है।

बैंक ऑफ इंडिया का 67 करोड़ रुपये का मामला
यह मामला सीधे पीएनबी घोटाले से अलग है। बैंक ऑफ इंडिया नीरव मोदी से 8 मिलियन डॉलर (करीब 67 करोड़ रुपये) वसूलने के लिए अदालत में लड़ाई लड़ रहा है। बैंक को डर है कि अगर नीरव मोदी भारत प्रत्यर्पित हो गए या किसी अन्य देश भेज दिए गए, तो उनकी वसूली मुश्किल हो जाएगी।

जेल की तंग कोठरी और नीरव की कानूनी चाल
नीरव मोदी फिलहाल खुद अपनी पैरवी कर रहे हैं। उनका दावा है कि उन्हें जेल में इतनी तंग जगह में रखा गया है कि कानूनी दस्तावेज अपने गोद में रखकर ही पढ़ने पड़ते हैं।

उनके वकील जेम्स किनमैन ने बताया कि एक 'गोपनीय प्रक्रिया' चल रही है, संभवतः शरण या मानवाधिकार से जुड़ी अपील। वकील का कहना है कि अक्तूबर 2026 से पहले नीरव मोदी को भारत भेजे जाने की संभावना बेहद कम है।

नीरव मोदी ने अन्य मामलों में भारत में 'यातना का खतरा' और 'बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य' का हवाला देकर प्रत्यर्पण रोकने की अपील की है। भारतीय अधिकारियों ने उनकी सुरक्षा के लिए आश्वासन दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई मार्च-अप्रैल 2026 में होने की उम्मीद है।