श्रीनगर। कश्मीर में सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू सुप्रीमो मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सल्लाहुद्दीन के खिलाफ बडगाम स्थित विशेष अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट वर्ष 2012 में दर्ज एक आतंकी मामले से संबंधित है, जिसमें सल्लाहुद्दीन लगातार गिरफ्तारी से बच रहा है।

सूत्रों के अनुसार, सल्लाहुद्दीन पिछले लगभग 32 वर्षों से पाकिस्तान में छिपा हुआ है और अधिकांश समय वह रावलपिंडी में ही रहता है। बडगाम की विशेष अदालत (एनआईए) में जज याहया फिरदौस ने जांच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और केस डायरी का अध्ययन करने के बाद यह कदम उठाया।

जज ने कहा कि प्रस्तुत साक्ष्यों और केस डायरी के आधार पर सैयद सल्लाहुद्दीन गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धाराओं 13, 18, 20, 39 और भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत आपराधिक मामलों में आरोपी हैं। उन्होंने बताया कि वास्तविक केस डायरी को मंजूरी के लिए संबंधित प्राधिकरण को भेजा गया है और आरोपित की गैरमौजूदगी में आरोपपत्र अदालत में दायर किया जाएगा।

जज ने आगे कहा कि आरोपी जानबूझकर गिरफ्तारी से बच रहा है, क्योंकि पुलिस ने उसे कानूनी रूप से अपनी दलील पेश करने का हर मौका दिया और लगातार तलाश की। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया है कि आरोपी को गिरफ्तार किया जाए।

सैलाहुद्दीन को वर्ष 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने वैश्विक आतंकी घोषित किया था। वर्ष 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी उन्हें UAPA के तहत आतंकी घोषित किया।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत, टेरर फंडिंग और अन्य गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में सल्लाहुद्दीन के तीन बेटों – शाहिद यूसुफ, शकील यूसुफ और मुईद यूसुफ – को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया। वहीं, उनके दो बेटों, शाहिद और शकील को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने टेरर-फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया है।