भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने हाल ही में देश के शीर्ष प्रसारकों और विज्ञापन एजेंसियों पर कथित मूल्य निर्धारण साजिश और छूट (डिस्काउंट) की मिलीभगत की जांच के तहत बड़ा अभियान शुरू किया है.

CCI के अधिकारियों ने लगभग 10 स्थानों पर छापेमारी की, जिनमें कई वैश्विक विज्ञापन कंपनियों जैसे GroupM, Dentsu, Interpublic Group, Omnicom के कार्यालय शामिल हैं. इस जांच के दायरे में भारतीय प्रसारण और डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) भी आया है, जो भारत में प्रसारकों का एक प्रमुख संगठन है.

सीईओ जांच से बच रहे
विज्ञापन क्षेत्र में कथित मूल्य निर्धारण की यह जांच अब एक नाटकीय मोड़ ले चुकी है, क्योंकि कई एजेंसियों के प्रमुख अधिकारी और सीईओ पूछताछ का जवाब देने से बच रहे हैं. CCI की कई कोशिशों के बावजूद सीईओ और वरिष्ठ अधिकारी फोन कॉल्स का जवाब नहीं दे रहे हैं, जबकि कुछ ने तो अपने मोबाइल फोन तक स्विच ऑफ कर दिए हैं.

सूत्रों के मुताबिक, कई विज्ञापन एजेंसियों में अब भी CCI और पुलिस अधिकारी मौजूद हैं और एजेंसी अधिकारियों से गहन पूछताछ जारी है, जिससे यह मामला और अधिक जटिल होता जा रहा है.

CCI की छापेमारी
जानकारी के अनुसार, CCI के अधिकारियों और पुलिस की टीम ने एक साथ कई लोकेशंस पर छापा मारा, जिनमें कई प्रमुख वैश्विक विज्ञापन कंपनियां जैसे WPP, Omnicom, Havas शामिल हैं. इसके अलावा, इस छापेमारी में इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवर्टाइजर्स (ISA) और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) जैसी प्रमुख संस्थाएं भी जांच के दायरे में आ गई हैं.

हेरफेर की आशंका
जांच से जुड़े सूत्रों का मानना है कि किसी बड़े विज्ञापनदाता (advertiser) या किसी छोटे विज्ञापन एजेंसी ने CCI में शिकायत दर्ज कराई होगी, जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू की गई. CCI को संदेह है कि विज्ञापन एजेंसियां आपस में विज्ञापन दरों और छूट (डिस्काउंट) को लेकर गुप्त समझौता कर रही थीं.

इस छापेमारी और जांच से जुड़े सभी अधिकारी और एजेंसियां अब तक मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे यह मामला और अधिक रहस्यमय होता जा रहा है. CCI इस पूरे घटनाक्रम की निगरानी कर रहा है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है.