अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से जवाबी टैरिफ का एलान करने की खबरों के बीच विदेशी निवेशकों ने अप्रैल के पहले सप्ताह में भारतीय इक्विटी बाजार में भारी बिकवाली की। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2 अप्रैल 4 अप्रैल के बीच 10,355 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर बेच दिए हैं। टैरिफ की जांच से वैश्विक बाजार में वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने और वित्तीय बाजारों पर मंडरा रहे खतरे के बीच यह निकासी की गई है। 

मार्च में एफपीआई की बिकवाली फरवरी की तुलना में काफी कम रही थी। मार्च में कुल बिकवाली फरवरी की 34,574 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 3,973 करोड़ रुपये रही। लेकिन, अप्रैल के पहले सप्ताह में वैश्विक बाजार में उथल-पुथल शुरू होने के बाद निवेशक फिर सहम गए बिकवाली करने लगे। हालांकि ऐसा नहीं है कि विदेशी निवेशक केवल भारत में ही बिकवाली कर रहे हैं। टैरिफ की घोषणा के दो दिनों के भीतर अमेरिकी बाजार ने ही अपने कुल मार्केट कैप का लगभग 5.4 ट्रिलियन डॉलर गंवा दिया है।

बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा के अनुसार निकट भविष्य में भारतीय बाजारों में तेज विदेशी प्रवाह की उम्मीद नहीं है। बग्गा ने कहा, "हमें अभी भारतीय बाजारों में तेज प्रवाह की उम्मीद नहीं है, जब तक कि ट्रम्प के टैरिफ से फैली अव्यवस्था कुछ हद तक व्यवस्था में नहीं बदल जाती। निवेशकों की भावना में सुधार ऐसी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में कुछ महीनों का समय लग सकता है। हालांकि अमेरिका के साथ भारत समेत अन्य देशों की चल रही प्रमुख व्यापार वार्ता जल्दी समाप्त होने पर वर्तमान स्थिति तेजी से भी बदल सकती है।" बग्गा के अनुसार बाजार की भावना में सुधार होने में महीनों लग सकते हैं। बग्गा ने साफ किया भारत में एफपीआई की ओर से की गई बिकवाली लिक्विडिटी की चिंताओं को देखते हुए उठाया गया कदम है। 

बग्गा ने कहा कि टैरिफ का भारत पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका कम है। उन्होंने बताया कि अमेरिका को 80 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात 4.2 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था के पैमाने की तुलना में बहुत कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा अस्थिरता के बावजूद भारतीय इक्विटी मार्केट मौलिक रूप से मजबूत बने हुए हैं। लेकिन वैश्विक अनिश्चितताएं अल्पकालिक अवधि में पूंजी प्रवाह को प्रभावित करती रहेंगी।