भारतीय युवा वर्ग को देश के स्वाभिमान और सीमाओं की सुरक्षा में सदा-सदा के लिए सन्नद्ध रखने के उद्देश्य से आरंभ की गई ‘अग्निवीर’ योजना के संबंध में अभी-अभी दो समाचार आये हैं। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयन्त चौधरी ने मेरठ में अपने दल के युवाओं की ‘युवा संसद’ में कहा है कि नौकरी न मिलने से युवकों की शादियां नहीं हो रही हैं। उन्होंने इस युवा संसद में वादा किया कि इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (जिसे जनता को झांसा देने के लिए ‘इंडिया गठबंधन’ कहा जाता है) की सरकार बनते ही वे पहला काम अग्निवीर योजना को खत्म करने का करेंगे। ज्ञातव्य है कि भाकियू नेताओं के साथ जाट बहुल्य इलाकों में घूम-घूम कर जयंत चौधरी ने अग्निवीर योजना का विरोध किया था और युवकों से अग्निवीर भर्ती का बायकॉट की अपील की थी।

अग्निवीर से संबंधित दूसरा समाचार नई दिल्ली का है। सेना द्वारा आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इस बार यानी 2024 की गणतंत्र दिवस परेड में नौसेना व वायुसेना के दस्तों में महिला अग्निवीर कर्तव्य पथ पर कदम ताल करेंगी।

अग्निवीर योजना का ख़ात्मा और महिला अग्निवीरों का गणतंत्र दिवस परेड में सहभागी बनना, दोनों विपरीत मानसिकता की खबरें हैं। पहला समाचार घोर नकारात्मक सोच से लबरेज़ है और दूसरा देश की नारी-शक्ति की राष्ट्ररक्षा में पुनर्स्थापना का प्रतीक है जो रानी लक्ष्मी बाई, रानी झलकारी बाई तथा रानी दुर्गावती के शौर्य से आज की महत्वाकांक्षी बालाओं को भारत के स्वार्णिम अतीत से जोड़ने वाला है।

अग्निवीर सदियों तक भारत को सैन्य रूप से अति सबल सुदृढ़ बनाये रखने की दूरगामी योजना है। इस योजना के अर्न्तगत देश के 773 जिलों में 50,000 युवक-युवतियों की भर्ती होती है। इनको सेना के सभी अंगों में सैन्य प्रशिक्षण तथा सुरक्षा व अस्त्र-शस्त्र चलाने की ट्रेनिंग के साथ-साथ आपातकाल से निपटने में दक्ष किया जाएगा। मासिक वेतन 30,000 रुपये से 40,000 रुपये होगा। चार वर्षों के बाद 10 लाख रुपये रिटायरिंग बेनिफिट मिलेगा। 25 प्रतिशत अग्निवीर रिटेन कर लिए जायेंगे यानी वे सेना के स्थायी सैनिक होंगे। शेष 75 प्रतिशत अग्निवीर अर्द्धसैनिक बलों, औद्योगिक बल, पीएसी व पुलिस में प्राथमिकता से भर्ती हो सकते हैं। यह भर्तियों की आयु सीमा पर आधारित होगा। सभी अग्निवीरों को पब्लिक व प्राइवेट नौकरियों में वरीयता मिलेगी। जो अग्निवीर निजी उद्योग अथवा व्यवसाय आरंभ करना चाहेंगे, उनको बैंकिंग तथा वित्तीय संस्थाओं में प्राथमिकता तथा रियायतें मिलेंगी। कुल मिलाकर यह योजना रोजगार व देश की सुरक्षा की गारंटी से जुड़ी है।

कभी अशोक महान् और चन्द्रगुप्त मौर्य, मिहिर भोज तथा महाराजा रणजीत सिंह जैसे शासकों ने भारत की सम्प्रभुता और अस्मिता सुरक्षित रखी किन्तु आज देश की सत्ता पर काबिज होने की इच्छा रखने वाले ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा-अल्लाह इंशा-अल्लाह’ कहने वालों के साथ क़दमताल करते हैं, घुसपैठियों, आतंकियों, अलगाववादियों की पीठ थपथपाते हैं। पाकिस्तान, चीन के गुर्गे कभी छिप कर और कभी सामने आकर भारतीय सेना और तिरंगे का अपमान करते हैं। सीमा पार के दुश्मनों से ज्यादा खतरा इन आस्तीन के साँपों से है।

इन परिस्थियों में राष्ट्र को न सिर्फ सबल-शक्तिशाली सेना की आवश्यकता है बल्कि ऐसे राष्ट्रप्रेमी नागरिकों की आवश्यकता है जो जरूरत आ पड़ने पर हमारे वीर सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मातृभूमि की रक्षा के लिए तुरन्त तत्पर हो जायें।

हमें लगभग 5 दशकों पहले कही भारत के वरिष्ठ पत्रकार और राजनयिक प्रेम भाटिया की एक बात याद आती है। श्री भाटिया इस्राइल की तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मायर के साथ इंटरव्यू लेकर भारत लौटे थे। उन्होंने बताया कि इस्राइल में प्रत्येक नागरिक के लिए दो बातें अनिवार्य हैं, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। पहली यह कि प्रत्येक इस्राइली नागरिक को तैरना ज़रूर आना चाहिए। दूसरी यह कि प्रत्येक इस्राइली नागरिक को सैन्य प्रशिक्षण अवश्य लेना होगा।

क्या जयन्त चौधरी को याद है कि जब 7 अक्टूबर, 2023 को आतंकवादी संगठन हमास ने इस्राइल पर हमला बोला तब 1400 इस्राइली नागरिकों की हत्या के साथ हमास के दरिंदों ने लाशों के बीच इस्राइली महिला सैनिकों की अस्मत लूटी, इस्राइली महिलाओं को नग्न कर बाइक पर घुमाया गया और 240 स्त्री, पुरुषों, बच्चों का अपहरण कर सुरंगों में बन्दी बनाया गया? ये सारे वीडियो दुनिया भर में वायरल हुए। तब जयन्त चौधरी की आखें तो बन्द नहीं होंगी ? इस्राइल-हमास युद्ध भड़कते ही भारत आये इस्राइली पर्यटक (जिनमें महिलाएं भी थीं) तुरंत स्वदेश लौटे। क्यूंकि उनके देश को युद्धकाल में इनकी जरूरत थी, उन्होंने सैनिक का प्रशिक्षण लिया हुआ जो था।

बाहरी और आन्तरिक शत्रुओं से घिरे भारत को इस्राइल जैसे नागरिकों की जरूरत है। अग्निवीरों का विरोध करने वालों से पूछा जा सकता है कि शान्तिकाल में यदि रिटायर्ड अग्निवीरों को लद्दाख सियाचिन, पुंछ, उत्तरपूर्वी राज्यों में रोजगार मिल जाये और वे वहीं बस जाएं तो देश के दुश्मनों की साजिशों व गलत हर‌कतों पर क्या वे झांझ-मजीरा बजाते रहेंगे या हथियार उठायेंगे?

राहुल गांधी, अखिलेश, तेजस्वी, वरुण, जयन्त जैसे सत्तालोलुप नेता अपने पुरखों की विरासत का लाभ तो उठाना चाहते हैं लेकिन उनका रास्ता नकारात्मक है। अग्निवीर योजना को लेकर राहुल के संकेत पर एनएसयूआई अध्यक्ष नीरज कुन्दन ने देशभर में अपने संगठन के सदस्यों को आगजनी, तोड़‌फोड़ व हिंसा करने को भड़‌काया। विपक्ष के समस्त नेताओं ने ‘अग्निवीर योजना’ को ढाल बना पूरे देश को आग में झोकने की कोशिश की। 16 जून, 2022 में उनका देश में अग्निकांड अभियान शुरू किया गया जो महाराष्ट्र से पश्चिमी बंगाल तक फैल गया। हिन्दी भाषी राज्यों में स्थिति बडी भयावह रही। रेलवे स्टेशनों, रेलवे ट्रैक, ट्रेनों, रेलवे संपत्तियों को फूंका, नष्ट किया गया। स्टेशनों से बाहर भी रास्तों व चौराहों पर टायर फूंककर मार्ग जाम किये गये, वाहन व दुकानें क्षतिग्रस्त की गयीं। इस आगजनी में अधिकांशतः वे युवा शामिल थे जिनकी आयु अग्निवीर की भर्ती सीमा से अधिक थी और जो कांग्रेस तथा वामपंथी संगठनों से संबद्ध थे। राजनीतिक उद्देश्य से किये गये अग्निकांडों से रेलवे की 1000 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हुई। सरकार पर असहिष्णु होने का आरोप राहुल अक्सर लगाते हैं किन्तु सरकार ने एक भी उपद्रवी को दण्डित नहीं किया, जबकि उनके चेहरे कैमरों में कैद हैं।

अग्निवीर योजना समय और परिस्थतियों के अनुकूल है। चौ. चरणसिंह ने भी परिस्थिति के अनुरुप पीएसी का गठन किया था जो आज भी सार्थक है। अग्निवीर पीढ़ी दर पीढ़ी देश को सशक्त करते रहेंगे, जयंत जैसों को इसका दर्द क्यों है ?

गोविन्द वर्मा
संपादक 'देहात'