अनुचित दबाव, धोखाधड़ी, पद के दुरुपयोग से सरकारी एवं गरीब मुस्लिम व द‌लित समाज की जमीन कब्जाने जैसे 104 मुकद‌मों के आरोपी, मुस्लिम नेता आजम खान अंतरिम जमानत पर सीतापुर जेल से रिहा होकर अपने गृहनगर रामपुर पहुंच चुके हैं। उनकी रिहाई से न सिर्फ समाजवादी पार्टी के नेता बल्कि मुस्लिम राजनीति करने वाले मौलाना भी बड़े खुश है। भारत माता को डायन बताने वाले आजम खान के रिहा होने पर हर समय जहर उगलने वाले तौकीर रजा बरेलवी ने कहा है कि उनकी रिहाई से मुस्लिम समाज को बहुत फ़ायदा होने वाला है तो आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि आजम साहब वह शख्सियत हैं जिन्होंने मुलायम सिंह यादव को मुल्ला मुलायम बनाया और समाजवादी पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है लेकिन अखिलेश यादव ने उनका साथ नहीं दिया। अब कौम व मिल्लत के हितों की रक्षा के लिए आजम साहब को नई पार्टी बना लेनी चाहिए।

आजम खान की रिहाई पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें राजनीतिक द्वेष के कारण झूठे मुकद‌मों में फंसाया गया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही सारे झूठे मुकदमे वापिस ले लिए जाएंगे। इशारा तो साफ़ है, पहले आजम खान उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बन‌वाने में, यानी विधानसभा चुनाव में सहयोग की अघोषित शर्त जोड़ दी। आजमखान् की रिहाई को न्याय एवं लोकतंत्र की जीत बताते हुए सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि आजम खान सच्चे समाजवादी हैं, पार्टी छोड़ कर कहीं नहीं जायेंगे, यद्यपि यह सभी जानते हैं कि आजम खान चार-चार पार्टियों में रह चुके हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि जो समाजवादी पार्टी उनकी रिहाई से प्रफुल्लित है, उसी पार्टी ने उन्हें 24 मई 2004 को पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया था। जब मुलायम सिंह यादव को लगा कि मुस्लिम वोटरों का एक ख़ास वर्ग, जो आजम खान की तड़काऊ-भड़‌काऊ और विरोधियों पर तंज कसने की भाषा को पसन्द करता है, सपा से बिदक जाएगा तो मुलायम सिंह यादव उन्हें समाजवादी पार्टी में पुनः ले आए। 4 दिसंबर 2010 को उनका निष्कासन रद्द कर दिया गया।

प्रश्न है कि समाजवादी पार्टी के आजम खान पसंदीदा नेता क्यों है? दरअसल जब आजम खान विरोधियों के प्रति अभद्र और तानाकशी के जुमले बोलते हैं, नाम चीन शख्सियतों पर फिरके बाजी कसते हैं और विरोधियों तथा बड़े अधिकारियों से अभद्रता करते हैं तो उनके वोटर गदगद हो जाते हैं और उनका वोट बैंक टस से मस नहीं होता। समाजवादी पार्टी हो या कांग्रेस उन्हें ऐसे मुस्लिम नेता पसन्द हैं जो जयाप्रदा के अंडरवियर का रंग बताने का दावा करता हो और नरेन्द्र मोदी की बोटी बोटी करने की धमकी देता हो।

आजम खान के विषय में धारणा बन चुकी है कि वे अपने वोट बैंक के बल पर बड़े से बड़े अधिकारी की बेइज्जती कर देते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसा करने से उनके वोटों में इज़ाफ़ा होगा।

अगस्त 2012 में एक सरकारी मीटिंग में आजम खान ने आई.ए.एस. अधिकारी प्रवीण कुमार को बदतमीज़ शख्स कहा। 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक रूप से अभिनेत्री जयाप्रदा पर अश्लील टिप्पणी की। सन् 2020 में आई.ए.एस. अधिकारी आंजनेय कुमार सिंह को सार्वजनिक रूप से बेइज्जत किया। जूता साफ कराने जैसी अपमानजनक, अभद्र टिप्पणी की। गाजियाबाद में हज हाउस के लोकार्पण के समय एक सुरक्षा अधिकारी को भीड़ के सामने थप्पड़ मारा। सपा नेता आजम बदजुबानी के इतने आदी हो चुके हैं कि उन्हें यह ख्याल ही नहीं रहता कि किसके प्रति क्या बोल रहे हैं। लोकसभा की पीठासीन अध्यक्ष श्रीमती रमादेवी के विरुद्ध अश्लील टिप्पणी करने पर 9 जुलाई, 2019 को आजम खान को भारी सभा में माफी मांगनी पड़ी।

आजम खान की बेहूदगी और बददिमागी की आदत पक चुकी है। अभी जब वे सीतापुर जेल से रिहा होकर रामपुर पहुंचे तो भीड़ व वाहनों का प्रबंध कर रहे पुलिस इंस्पेक्टर फरीद अहमद से भिड़ गए। उनकी दहाड़ और रौद्ररूप का वीडियो खूब वायरल हो रहा है।

आजम खान की रिहाई पर मुजफ्फरनगर में भी खूब मिठाइयां बंटी किन्तु मुजफ्फरनगर के लोग आजम खान को सन्‌ 2013 के कवाल के दंगे और सचिन-गौरव के हत्यारों को आधी रात में ही हवालात से छोड़े जाने और तत्कालीन जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह एवं एस.एस.पी. मंजिल सैनी का स्थानान्तरण रात्रि में ही कराने का जिम्मेदार मानते हैं। कवाल की घटना के बाद कैसे मुजफ्फरनगर जिले में दंगा भड़का और कैसे जाट समाज के सैकड़ों युवकों पर फ़र्जी मुकद‌में दायर कर उनका उत्पीड़न हुआ, इसका दोष भी लोग आजम खान पर मंढ़ते हैं।

बेहूदगी करने की आदत से मज़बूर आजम खान का वास्ता मुजफ्फरनगर जिले में पैदा एक पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी से पड़ गया। उन्होंने अनुज चौधरी को अपने पुराने ढर्रे से हड़काने की कोशिश की तो उल्टे लेने के देने पड़ गए।अनुज ने नेता जी को ऐसा हड़‌काया कि चुपचाप चलते बने। मई 2023 का यह वीडियो खूब वायरल हुआ था।

आजम खान की इस अदा से वोट तो खूब खिंचते हैं और समाजवादी पार्टी के लिए वे अनमोल धरोहर सिद्ध हो रहे हैं, इसी लिए उनकी जमानत पर रिहाई होने पर मिठाइयां बांटी और खाई जा रही हैं। सपा हाईकमान (मुलायम परिवार) का दृढ़ विश्वास है कि 2027 के चुनाव में अखिलेश यादव की ताजपोशी के लिए वे करिश्मा करेंगे। लोकतंत्र में सब संभव है किन्तु आजम खान के आचरण से मुस्लिम समाज की छवि धूमिल हुई है जबकि मुस्लिम समाज अपनी सदाकत, शराफत, नफ़ासत, शिष्टाचार, आला तहज़ीब और शिष्ट व्यावहार के लिए जाना जाता है। लेकिन जब वोट खींचने का मकसद हो तो अदब कायदे तथा शराफ़त भरे लोकाचार का कोई मूल्य नहीं रह जाता। समाजवादी पार्टी को जो चाहिए, वह आजम खान उसे देते आए हैं। उनका सपा में बना रहना अखिलेश यादव के लिए, और खुद उनके लिए भी मुफ़ीद रहेगा। वैसे 23 महीने जेल में रहकर उन्होंने आत्मचिन्तन जरूर किया होगा। वे भविष्य का कार्यक्रम इसी के अनुरूप तय करेंगे। वैसे रामपुर के विधायक आकाश सक्सेना ने उन्हें याद दिलाया कि वे अंतरिम जमानत पर रिहा हुए हैं, 104 मुकदमों में से कई मुकदमें उन पर अब भी कायम हैं।


गोविंद वर्मा (संपादक 'देहात')