बुद्धिजीवियों व क्रांतिकारियों की धरती कहे जाने वाले बिहार में मनीष कश्यप नाम का एक युवा यूट्यूबर है। इसने बिहार के जंगल राज का हवाला देते हुए लिखा था कि बिहार में अंगूठा टेक व दर्जा आठ-नौ फेल नेताओं का शासन चलता है। क्रांति की धरा बिहार से वंशवाद को मिटाना मेरा लक्ष्य है।
लालू परिवार की आँखों में मनीष कश्यप कांटे की तरह खटकता है। नितीश कुमार उर्फ़ पलटूराम से हाथ मिलाने के बाद तेजस्वी यादव ने मनीष को सबक सिखाने की ठानी। इस बीच मार्च महीने में तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ झगड़ा व मार-पीट की ख़बरें मीडिया में आने लगीं। राकेश रंजन नामक एक व्यक्ति ने तमिलनाडु की हिंसा का वीडियो बनाकर पोस्ट कर दिया। चूँकि मनीष कश्यप बिहार का निवासी है इसलिए उसने राकेश रंजन के वीडियो को शेयर कर दिया।
तेजस्वी को मनीष के विरुद्ध दमनचक्र चलाने का मौका मिल गया। उनके कहने पर मनीष के विरुद्ध 13 कथित मामलों में एफआईआर दर्ज कराई गईं। मनीष के मकान को कुर्क करके खाट-खटोले तक थाने में जमा कर लिए गए उसके चार बैंक अकाउंट सीज़ किये गए। जब तमिलनाडु में बिहारी मज़दूरों के दमन की ख़बरें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आ रही थीं, उसी बीच तेजस्वी यादव तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के जन्मदिन का केक खाने चैन्नई जा पहुंचे। वहां भी मनीष के विरुद्ध साजिश रची गईं। उस पर तमिलनाडु की पुलिस ने 14 मुक़दमे दायर किये। एक मुकदमा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) में भी दर्ज किया गया। आरोप लगाया गया कि मनीष ने जिस वीडियो को शेयर किया है, उससे दोनों राज्यों की शांति व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो गया है। तमिलनाडु पुलिस बिहार पहुंची और मनीष कश्यप को पकड़ कर चैन्नई ले गई, जहा उसे जेल में ठूस दिया गया।
मनीष की माँ ने सामने आकर कहा कि मेरे पुत्र को राजनीतिक द्वेष के कारण झूठा पसाया गया है, इस अन्याय के विरुद्ध लड़ाई की क्षमता उसमे नहीं थी। मनीष के हजारों प्रशंसकों ने तथा कुछ अधिवक्ताओं ने यूट्यूबर के विरुद्ध चलाये जा रहे दमनचक्र की निंदा की।
घोर आश्चर्य का विषय है कि प्रेस की आज़ादी पर खतरे का रोना रोने वाले वामपंथी पत्रकारों व सेक्युलरवादियों ने अपना मुँह कसकर बंद कर लिया और कलम उठाकर रख दी। जुबेर जैसे सनसनी मचाने वाले एजेंडा यूट्यूबर और तीस्ता सीतलवाड़ की पैरोकारी में पलक पांवड़े बिछाने वाले चौथे स्तम्भ के मठाधीशों को सांप सूंघ गया। प्रेस परिषद् व प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के सदस्य व पदाधिकारी बिल्क़ुल शांत बैठे रहे।
कुछ निर्भीक अधिवक्ताओं ने तमिलनाडु, बिहार और दिल्ली के सक्षम न्यायालयों में मनीष कश्यप का मामला उठाया। 10 नवंबर 2023 को मद्रास हाईकोर्ट ने मनीष पर ठोका गया एनएसए का मुक़दमा ख़ारिज़ कर दिया। प्रधान न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने तमिलनाडु सरकार से पूछा कि मनीष पर एनएसए क्यों लगाया गया ? अब पटना सिविल कोर्ट ने 21 दिसंबर को सभी मामलों में मनीष कश्यप को जमानत पर रिहा किया है। नौ महीने के कारावास के बावजूद मनीष के तेवर नहीं बदले उसने कहा है कि बिहार में कंसों का राज है यह ख़त्म होकर रहेगा।
एक अदना सा यूट्यूबर जंगल राज के विरुद्ध खड़ा है और करोड़ों अरबों कमाने वाले टीवी चैनल के पत्रकार व बड़े मीडिया हॉउसों के संपादकों ने अपने भोंपू व क़लम किसके हाथों गिरवी रखे हुए हैं ?
गोविन्द वर्मा