भारत के नागरिक इस तथ्य से अवगत हैं कि ओवरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा द्वारा आयोजित इवेंट्स में राहुल गाँधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निंदा करते-करते भारत की भी निंदा करने लगते हैं और मोदी के नेतृत्व वाले भारत को विश्व में एक कमजोर राष्ट्र के रूप में बेहिचक प्रस्तुत करते हैं।
यह भी सर्वविदित है कि चीन को लेकर राहुल गाँधी अनर्गल प्रलाप करने में माहिर हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि वे 15 मिनटों में चीन को उठाकर फेंक देंगे यानी अपने मुकाबले उन्होंने नरेंद्र मोदी को कमजोर नेता सिद्ध करने की कोशिश की। इन्हीं राहुल गाँधी ने विदेश जा कर चीन की भूरि-भूरि प्रसंशा की और यहां तक कह डाला कि भारत के मुकाबले चीन एक विकसित व प्रगतिशील राष्ट्र है।
राहुल को यह देख और सुनकर ईर्ष्या होती है कि नरेंद्र मोदी एक वैश्विक नेता के रूप में उभर रहे हैं। विश्व के चोटी के नेताओं के बीच नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता शीर्ष पर है।
अब, जब चीन के सरकारी समाचारपत्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा छपी है तो राहुल गाँधी क्या कहेगें और क्या करेंगे ? एक चीनी विश्वविद्यालय के निर्देशक झांग जियादोंग ने सरकारी समाचारपत्र "ग्लोबल टाइम्स" के 2 जनवरी 2024 के अंक में अपना लेख प्रकशित कराया है। इस लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की और भारत के विकास की मुक्तकंठ से प्रशंसा की गयी है। झांग जियादोंग ने कहा है कि मोदी के नेतृत्व में भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उनकी आर्थिक व विदेश नीति से देश में सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। भारत वैश्विक कारोबार, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और राजनीति के मामलों में तेजी से क़दम बड़ा रहा है। भारत आज दुनिया के लिए अहम हो गया है। भारत में यह बदलाव 10 वर्षो से भी कम समय में हुआ है। भारत वास्तव में एक प्रमुख शक्ति है। भारत कूटनीतिक क्षेत्र में महान शक्ति बनता जा रहा है। जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली है, अमेरिका, जापान, रूस और अन्य देश भारत से सम्बन्ध बढ़ाने में लगे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत ने पश्चिम से दूरी बनाकर खुद को विकासशील देशों में अधिक निकटता से जोड़ा हैं ।

बेचारा राहुल और उसका सलाहकार पित्रोदा! झूठ और बहकावे की भी कुछ हद होती है। राहुल के परनाना ने भारत की जमीन कैसे चीन को सौंप दी, तिब्बत की आजादी कैसे गयी, चीन को वीटो पावर नेहरु की नासमझी से कैसे मिली, इस सब को छोड़ भी दें तो यह पूछा जा सकता है कि चीन के भारत विरोधी रवैये के वावजूद सोनिया-राहुल ने 7 अगस्त 2008 में अपनी पार्टी कांग्रेस व चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच बीजिंग जाकर समझौते पर हस्ताक्षर क्यों किये? 2005-2007 के बीच राजीव गाँधी फाउंडेशन से 1 करोड़ 35 लाख रुपये चंदा क्यों लिया? जब डोकलाम में भारत चीनी सैनिकों को पीछे ढ़केल रहा था, तब राहुल गाँधी प्रियंका, आनंद शर्मा दिल्ली स्थित चीनी राजदूत के यहाँ क्या करने गए थे?
राहुल को नेता के रूप में मोदी और सरकार की गलत नीतियों का विरोध व आलोचना करने का लोकतान्त्रिक अधिकार है। वे लगातार झूठ बोलकर भारतीयों को गुमराह क्यों कर रहे है ? जब भारत के प्रतिद्वन्द्वी चीन के सरकारी अखबार में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और भारत की प्रगति की प्रशंसा होती है, तो राहुल गाँधी और उनकी मण्डली को गालियां देने के बजाय आत्मचिंतन करना चाहिए।