लगभग पांच शताब्दियों बाद, साढ़े चार लाख रामभक्तों के प्राणोत्सर्ग के पश्चात अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न होने जा रही है। आज रामनगरी ही नहीं, समग्र राष्ट्र राममय है, फिर भी देश में दुराग्रही शक्तियां अपनी करतूतों से बाज़ नहीं आ रही हैं। छद्म रामप्रेमी और 'राम' से सीधी दुश्मनी रखने वाले लोग इस पवित्र और अभूतपूर्व समय में जनमानस को भरमाने व भड़काने से पीछे नहीं हटे हैं। मीडिया व सोशल मीडिया पर इनके नित्य नये भड़काऊ भाषण व विचार सामने आ रहे हैं। राष्ट्र की आत्मा राम को लेकर इनका यह रवैया राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है। विशेष रूप से राम मंदिर को लेकर मुस्लिम समाज को भ्रमित व अपने पाले में खड़ा करने के लिए ये तत्व निरंतर सक्रिय हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम ज़मात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रिज़वी ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि वे राम मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठा को लेकर कुछ मुस्लिम नेताओं व समाजवादी पार्टी के भ्रामक प्रचार से गुमराह और उत्तेजित न हों। मौलाना ने कहा कि भारत सदियों से संतों और सूफियों का देश रहा है। करोड़ों हिन्दू-मुस्लिम यहाँ मिल कर रह रहे है। राम मंदिर से भारत को कोई खतरा नहीं है। मुस्लिमों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। 22 जनवरी को ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है, जिससे मुसलमानों का अहित हो।
मौलाना शाहबुद्दीन रिज़वी ने बहुत ही साफ़गोई से सच्ची बात कही है किन्तु साम्प्रदायिक आधार पर राष्ट्र को अस्थिर व कमज़ोर रखने वाली ताकतों के कुप्रचार से एक बड़े वर्ग पर मौलाना साहब के कथन का क्या सार्थक प्रभाव पड़ेगा ?
उन लोगों के नाम लेने की जरूरत नहीं जो मंच से, प्रेस कॉन्फ्रेंस तथा सोशल मीडिया के माध्यम से कुप्रचार करने से बाज़ नहीं आते। कुछ समय पूर्व मुस्लिम विद्वान व केरल के राज्यपाल मौहम्मद आरिफ़ खान ने कहा था कि मदरसों से राष्ट्रधर्म विरोधी प्रचार बंद करा दीजिये, सब धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा। मौलाना रिज़वी साहब ने जो सकारात्मक सन्देश दिया है, उसका मुस्लिम समाज में स्वागत होना चाहिए था किन्तु ऐसा नहीं हुआ। लोग आज भी ओवेसी बंधुओ व देवबंदी तथा बरेलवी मौलानाओं की बातों पर तालियां बजाते हैं और गगन भेदी नारे लगाते हैं। संभव है कि मुस्लिम समाज का पढ़ा-लिखा वर्ग मुख्य राष्ट्रीयधारा से जुड़ने का प्रयास करे। फिलहाल मौलाना की अपील को सुनने व मानने वाले चंद ही लोग हैं।
गोविन्द वर्मा