पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कृष्णानगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया के दौरान जिलाधिकारियों की निगरानी के लिए दिल्ली से ऐसे अधिकारियों को भेजा जा रहा है, जो भाजपा की विचारधारा से प्रभावित हैं। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ बताया।

'यह उत्तर प्रदेश नहीं, बंगाल है'

मुख्यमंत्री बनर्जी ने हाल ही में कोलकाता में फूड वेंडरों पर हुए हमले की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "यह उत्तर प्रदेश नहीं है… दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। किसी को भी आम लोगों पर हाथ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।"

‘खाना क्या होना चाहिए, यह भाजपा तय नहीं कर सकती’

ममता बनर्जी ने भोजन की पसंद को लेकर भी भाजपा पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति शाकाहारी खाए या मांसाहारी, यह उसका निजी अधिकार है, भाजपा का नहीं।
कोलकाता में हाल में आयोजित बड़े स्तर के गीता पाठ कार्यक्रम पर उन्होंने टिप्पणी की कि धार्मिक आस्था व्यक्तिगत क्षेत्र का विषय है, और इसके लिए बड़े आयोजन की आवश्यकता नहीं होती।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का माहौल बना रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, “धर्म का अर्थ एकता और पालन है, न कि समाज को बांटना। धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक इस्तेमाल बंगाल की संस्कृति के खिलाफ है।”

‘मतदाता सूची से किसी का नाम हटाया तो धरने पर बैठूंगी’

मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर प्रतिक्रिया देते हुए बनर्जी ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि किसी पात्र नागरिक का नाम सूची से गायब किया गया तो वह स्वयं धरना देने को बाध्य होंगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बंगालियों को ‘बांग्लादेशी’ बताकर हिरासत शिविरों में भेजने की साजिश रच सकती है।

मुख्यमंत्री ने व्यंग्य करते हुए पूछा, “क्या मुझे भी अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत है?”

फूड वेंडरों पर हमले में तीन गिरफ्तार

कोलकाता पुलिस ने ‘पांच लाख कंठों में गीता पाठ’ कार्यक्रम के दौरान दो फूड वेंडरों पर हुए हमले के मामले में बुधवार रात तीन लोगों को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई मैदान थाने में दर्ज दो शिकायतों के आधार पर की गई है।