नई दिल्ली: भारत की प्राचीन वैज्ञानिक परंपराओं को स्कूल शिक्षा से जोड़ने के प्रयास में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 6 से 8 तक की विज्ञान की किताबों में आयुर्वेद को शामिल किया है। यह फैसला केंद्र सरकार के निर्देश पर लिया गया है। नए अध्यायों का उद्देश्य छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली और समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण से परिचित कराना है।
क्लास 8 में आयुर्वेद पर विशेष अध्याय
कक्षा 8 की नई साइंस किताब ‘Curiosity’ में आयुर्वेद से जुड़ा एक विशेष अध्याय जोड़ा गया है। इसमें बताया गया है कि आयुर्वेद शरीर, मन और पर्यावरण के बीच संतुलन पर आधारित एक समग्र (holistic) जीवनशैली का दर्शन प्रस्तुत करता है।
अध्याय में दिनचर्या (Dinacharya) और ऋतुचर्या (Ritucharya) जैसे सिद्धांतों का उल्लेख है, जो स्वस्थ दिनचर्या, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और मानसिक सजगता पर जोर देते हैं।
एनसीईआरटी निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य छात्रों को केवल आधुनिक विज्ञान ही नहीं, बल्कि भारत की पारंपरिक वैज्ञानिक सोच से भी अवगत कराना है।
क्लास 6 में भी शामिल हुए प्राचीन सिद्धांत
कक्षा 6 की साइंस किताब ‘Curiosity’ में आयुर्वेद के अनुसार पदार्थों के वर्गीकरण (Classification of substances) पर एक नया खंड जोड़ा गया है। यह हिस्सा “अष्टांग हृदय सूत्र स्थान” जैसे ग्रंथों में वर्णित बीस विरोधी गुणों (गुण) के सिद्धांत पर आधारित है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को स्वास्थ्य, पोषण और प्रकृति के बीच संतुलन का महत्व सिखाया जाएगा।
उच्च शिक्षा तक बढ़ेगा दायरा
शैक्षणिक सूत्रों के मुताबिक, एनसीईआरटी अब उच्च कक्षाओं की साइंस किताबों में भी इस अवधारणा का विस्तार करने की तैयारी कर रहा है। वहीं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) उच्च शिक्षा के लिए आयुर्वेद-केंद्रित पाठ्यक्रम तैयार करेगा।
एनसीईआरटी और यूजीसी का संयुक्त प्रयास
केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि एनसीईआरटी और यूजीसी मिलकर स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के लिए एकीकृत कोर्स मॉड्यूल तैयार करेंगे, ताकि युवा विद्यार्थियों को समग्र स्वास्थ्य और जीवनशैली के सिद्धांतों की समझ दी जा सके।
मंत्री ने कहा कि आयुर्वेद से जुड़े विषय अब शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी शामिल किए जा रहे हैं। शिक्षकों के लिए ओरिएंटेशन सत्र, कार्यशालाएँ (वर्कशॉप) और हैंडबुक तैयार की जा रही हैं ताकि इस नए पाठ्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।