थाईलैंड में आयोजित मिस यूनिवर्स 2025 पेजेंट में मैक्सिको की फातिमा बॉश ने दुनिया भर की प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए खिताब अपने नाम कर लिया। इस बार भारत की प्रतिभागी मनिका विश्वकर्मा टॉप 30 में शामिल होने के बाद टॉप 12 की रेस में जगह नहीं बना सकीं।
ताज मिलने पर भावुक हुईं फातिमा
विजेता घोषित होते ही मंच पर खड़ी फातिमा बॉश की आंखें भर आईं। वर्षों की तैयारी और कड़ी मेहनत के बाद मिला यह सम्मान उनके लिए बेहद भावुक पल था। चमकीले लाल गाउन में सजी फातिमा न केवल आत्मविश्वास से भरी दिखीं, बल्कि बेहद खूबसूरत भी लग रही थीं।
ये प्रतिभागी रहीं टॉप 5 में
मिस यूनिवर्स 2025 में थाईलैंड की मॉडल प्रवीणर सिंह फर्स्ट रनर-अप बनीं।
वेनेजुएला की स्टीफिन अबासली ने सेकेंड रनर-अप का स्थान हासिल किया।
फिलिपींस की अतीशा मनालो चौथे स्थान पर रहीं, जबकि पांचवें स्थान पर कोत दिव्वार की प्रतिभागी रहीं।
भारत की मनिका टॉप 12 में नहीं पहुंच सकीं
राजस्थान की मॉडल मनिका विश्वकर्मा इस वर्ष भारत की ओर से प्रतियोगिता में उतरी थीं। उन्होंने शुरुआती चरणों में मजबूत प्रदर्शन करते हुए टॉप 30 में जगह बनाई, लेकिन कड़ा मुकाबला होने के कारण वे टॉप 12 में प्रवेश नहीं कर पाईं।
फिनाले से पहले विवादों में रही थीं फातिमा
प्रतियोगिता के दौरान 4 नवंबर को फातिमा उस समय सुर्खियों में आ गईं जब उन पर मिस थाईलैंड के निदेशक नवात इत्साराग्रिसिल ने प्रोमोशनल कंटेंट साझा न करने का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक रूप से तीखी टिप्पणी की।
इस घटना के बाद वातावरण तनावपूर्ण हो गया और विरोध जताते हुए फातिमा थोड़ी देर के लिए मंच से चली भी गईं। बाद में वे वापस लौटीं और उन्होंने उस व्यवहार को अपमानजनक बताया।
कौन हैं फातिमा बॉश?
19 मई 2000 को मैक्सिको के तेपा में जन्मी फातिमा 25 वर्ष की हैं। वे पेशे से मॉडल हैं और वर्षों से पेजेंट की दुनिया में सक्रिय हैं।
इस साल की प्रतियोगिता में चिली, कोलंबिया, क्यूबा, चीन, थाईलैंड, फिलीपींस सहित कई देशों की प्रतिभागियों ने भाग लिया।
भारत की बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल इस बार जजों के पैनल का हिस्सा थीं।
फाइनल राउंड में फातिमा से पूछा गया कि “2025 में महिलाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं और आप मिस यूनिवर्स का प्लेटफॉर्म महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान बनाने में कैसे इस्तेमाल करेंगी?”
इस पर उन्होंने जवाब दिया:
“एक महिला और मिस यूनिवर्स के रूप में मैं अपनी आवाज उन लोगों तक पहुंचाना चाहती हूं जिन्हें सुना नहीं जाता। आज महिलाएं निडर होकर बदलाव की मांग कर रही हैं। सुरक्षा, अधिकार और समान अवसरों से जुड़ी चुनौतियां अब भी हैं, लेकिन यह पीढ़ी चुप रहने वाली नहीं है। हम इतिहास बदलने के लिए आगे बढ़ रही हैं।”