ईरान और इजराइल के बीच संघर्षविराम के बाद पहली बार ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने इस अवसर पर ईरानी जनता को ‘विजय’ की बधाई दी और कहा कि इस्लामी गणराज्य ने अपने ज़ायोनी दुश्मन को पराजित कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खामेनेई को सुरक्षा कारणों के चलते तेहरान के एक सुरक्षित बंकर में ले जाया गया था, और संभवतः उनका यह संबोधन वहीं से प्रसारित किया गया।
खामेनेई ने 24 जून को दिए गए एक बयान में कहा था कि “जो लोग ईरानी इतिहास और जनता की भावना को समझते हैं, वे जानते हैं कि यह राष्ट्र कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करेगा।” यह बयान उस समय आया था जब अमेरिका की ओर से ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण की चेतावनी दी गई थी।
“जायोनी शासन को कुचला गया”
सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में कहा कि इजराइल की तरफ से युद्ध की शुरुआत के बावजूद, ईरान की जवाबी कार्रवाइयों ने ‘जायोनी शासन’ को बुरी तरह हिला कर रख दिया। उन्होंने इसे ईरान की सैन्य शक्ति और आत्मबल का परिचायक बताया।
अमेरिका की हस्तक्षेप की वजह बताई
खामेनेई ने कहा कि अमेरिका ने युद्ध में हस्तक्षेप इसलिए किया क्योंकि उसे आशंका थी कि इजराइल पूरी तरह से पराजित हो सकता है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि इस हस्तक्षेप के बावजूद अमेरिका को कोई लाभ नहीं हुआ और उल्टा उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। उन्होंने इस संघर्ष को अमेरिका के लिए “एक तमाचा” बताया।
ईरान सतर्क, हमले की आशंका
वहीं कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान अभी भी संभावित हमलों को लेकर सतर्क है और ‘अटैक के लिए तैयार’ स्थिति में है। देश के सैन्य अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि यदि दुबारा हमला हुआ तो उसका तत्काल जवाब दिया जाएगा। यह आशंका इस आधार पर जताई जा रही है कि पश्चिमी खुफिया रिपोर्टों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को फिर से सक्रिय किए जाने की संभावना व्यक्त की गई है।
इधर इजराइली अधिकारियों की ओर से भी संकेत मिल रहे हैं कि यदि जरूरत पड़ी तो ईरान पर दोबारा सैन्य कार्रवाई की जा सकती है।
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