अमेरिका ने भारत को एक बड़े हथियार पैकेज की मंजूरी दे दी है। इस सौदे के तहत भारत को 100 ‘जैवेलिन’ एंटी-टैंक मिसाइलें, 25 हल्के कमांड लॉन्च यूनिट और 216 ‘एक्सकैलिबर’ प्रिसिजन आर्टिलरी राउंड मिलेंगे। अमेरिकी डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) ने इस प्रस्तावित बिक्री की औपचारिक जानकारी अपने कांग्रेस को भेज दी है। यह प्रक्रिया किसी भी अंतरराष्ट्रीय हथियार सौदे के लिए अनिवार्य होती है।
सौदे का विवरण
सौदे में शामिल मिसाइलें और आर्टिलरी राउंड के संचालन, रखरखाव, सुरक्षा निरीक्षण और सैनिक प्रशिक्षण से जुड़ा पूरा सपोर्ट पैकेज भी शामिल है। DSCA ने कहा है कि यह कदम अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। इसके अलावा, यह भारत की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा और उसे सीमाओं और क्षेत्रीय खतरों से निपटने में मदद करेगा।
क्षेत्रीय संतुलन पर असर
अमेरिका ने स्पष्ट किया कि इस हथियार बिक्री से दक्षिण एशिया के सैन्य संतुलन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। फिलहाल इस सौदे में कोई ऑफसेट (प्रतिपूर्ति) व्यवस्था शामिल नहीं है; यदि भविष्य में ऐसा होगा तो भारत और निर्माता कंपनियों के बीच अलग से तय होगा।
जैवेलिन मिसाइल की विशेषताएँ
जैवेलिन मिसाइल को दुनिया की सबसे उन्नत कंधे से दागी जाने वाली एंटी-टैंक मिसाइल माना जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं:
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टॉप-अटैक मोड: मिसाइल ऊपर से हमला करती है, जहां टैंक का कवच कमजोर होता है।
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सॉफ्ट लॉन्च सिस्टम: इसे बंद जगहों जैसे बंकर या इमारत से भी सुरक्षित रूप से दागा जा सकता है।
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सटीक मारक क्षमता: यूक्रेन युद्ध में रूसी टी-72 और टी-90 टैंकों को नष्ट करने में यह महत्वपूर्ण रही।
एक्सकैलिबर आर्टिलरी राउंड
एक्सकैलिबर राउंड GPS-गाइडेड होते हैं, जिससे तोपों से दागने पर लक्ष्य पर सटीक प्रहार होता है और अनावश्यक नुकसान कम होता है। भारत पहले भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर चुका है। अमेरिकी कांग्रेस के पास इस प्रस्ताव पर आपत्ति या समीक्षा के लिए समय है। अगर कोई विरोध नहीं होता, तो भारत को हथियारों की डिलीवरी शुरू हो सकेगी।
रूस का प्रस्ताव – सुखोई-57 लड़ाकू विमान
इसी बीच, रूस ने भारत को सुखोई-57 स्टील्थ लड़ाकू विमान की पेशकश की है। इस प्रस्ताव में भारत में पांचवीं पीढ़ी के विमान का उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण शामिल है। रूस की ओर से यह प्रस्ताव राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले आया है।
रोस्तेक के सीईओ सेर्गेई चेमगोव ने कहा कि प्रस्ताव के तहत सुखोई-57 का निर्माण भारत में किया जाएगा और यदि भारत सहमत होगा तो दो-सीटर संस्करण का भी संयुक्त विकास संभव है। यह प्रस्ताव दोनों देशों के बीच एक बड़े रक्षा सौदे की संभावना को दर्शाता है।