भारत में क्षय रोग (टीबी) को पूरी तरह समाप्त करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। टीबी कई प्रकार का होता है, लेकिन फेफड़ों का टीबी सबसे खतरनाक माना जाता है। हर साल फेफड़ों के टीबी से देश में हजारों लोगों की मौत होती है। लंग्स टीबी की तीन मुख्य अवस्थाएं होती हैं – सामान्य, एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) और एक्सडीआर (एक्सटेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंस)। जैसे-जैसे संक्रमण की अवस्था बढ़ती है, इलाज और भी जटिल हो जाता है। इसलिए टीबी के लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज कराना जरूरी है।
टीबी संक्रमण और इसके फैलने के कारण
क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह संक्रमण टीबी मरीज के संपर्क में आने या संक्रमित क्षेत्र में जाने से फैल सकता है। आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करने वाला यह रोग शरीर के अन्य अंगों जैसे हड्डी, रीढ़, मस्तिष्क, पेट या गुर्दे को भी प्रभावित कर सकता है। फेफड़ों के टीबी का पता जल्दी चल जाता है, लेकिन कई बार मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण बैक्टीरिया सक्रिय नहीं हो पाता और जीवनभर निष्क्रिय बना रहता है।
फेफड़ों के टीबी के लक्षण
फेफड़ों में टीबी होने पर मरीज को निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:
- लगातार खांसी आना
- खांसी में खून आना
- बुखार और रात में पसीना आना
- वजन में कमी और भूख न लगना
- थकान और सीने में दर्द
यदि खांसी दो सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है, तो टीबी की जांच करानी चाहिए। पहली अवस्था में टीबी का इलाज लगभग 6 महीने तक चलता है। दूसरी अवस्था (एमडीआर) में इलाज का समय और दवाएं बढ़ जाती हैं, जबकि तीसरी अवस्था (एक्सडीआर) में इलाज काफी कठिन और लंबा हो जाता है।
सावधानियां और बचाव के उपाय
- यदि खांसी दो हफ्ते से अधिक समय तक बनी हुई है, तो टीबी की जांच जरूर कराएं।
- संक्रमित व्यक्ति से उचित दूरी बनाकर रखें और मास्क का प्रयोग करें।
- परिवार में किसी को टीबी होने पर सभी सदस्यों को मास्क पहनने की सलाह दी जाती है।
- टीबी की दवा बीच में छोड़ने से संक्रमण की अवस्था गंभीर हो सकती है।
- टीबी मरीज के खांसने पर लाखों बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं, इसलिए सतर्कता जरूरी है।
टीबी के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता लें। नियमित दवा सेवन और सावधानियां अपनाकर टीबी से निजात पाई जा सकती है।