एक्सिओम-4 मिशन की सफलतापूर्वक पूर्णता के बाद अंतरिक्ष से लौटे भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस समय चिकित्सकीय निगरानी में हैं। पृथ्वी पर वापसी के बाद उन्हें शारीरिक अनुकूलन की कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों की देखरेख में वे अब दोबारा चलने की प्रक्रिया सीख रहे हैं। शुभांशु के अनुसार, अंतरिक्ष से लौटने के बाद सामान्य रूप से खड़ा होना और चलना तक आसान नहीं रह जाता। प्रतिक्रिया की गति भी धीमी हो जाती है।

गुरुवार को इंस्टाग्राम पर साझा की गई एक पोस्ट में उन्होंने स्पलैशडाउन के तुरंत बाद की कुछ तस्वीरें अपलोड कीं, जिनमें वे चलना सीखते नजर आ रहे हैं। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने लिखा कि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण हमारे शरीर के विकास और कार्यप्रणाली का आधार होता है। जब हम लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहते हैं, तो इसका शरीर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है — जैसे द्रव की मात्रा में कमी और हृदय गति का धीमा पड़ना, क्योंकि उस स्थिति में दिल को सिर तक रक्त पहुंचाने के लिए गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम नहीं करना पड़ता।

उन्होंने आगे बताया कि शरीर की संतुलन प्रणाली यानी vestibular senses को पृथ्वी पर लौटने के बाद खुद को फिर से अनुकूल बनाना होता है। हालांकि यह प्रक्रिया अस्थायी होती है और शरीर कुछ समय में फिर से सामान्य हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के अनुभव अंतरिक्ष यात्राओं की दीर्घकालिक योजना और तैयारी के लिए बेहद जरूरी सबक हैं।

शुभांशु ने लिखा कि लौटने के बाद सबसे सामान्य क्रियाएं, जैसे सीधे चलना, भी जटिल लगती हैं। प्रतिक्रिया समय घट जाता है और संतुलन की समस्या होती है। लेकिन ये सभी परिवर्तन अस्थायी होते हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “यह तस्वीर उस क्षण की है जब मैं स्पेस से लौटने के बाद फिर से चलना सीख रहा था।”

20 दिन की अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर लौटे शुभांशु

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटे। वे निजी अमेरिकी अंतरिक्ष मिशन एक्सिओम-4 के तहत 20 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे। उनके साथ तीन अन्य यात्री — पेगी व्हिटसन, स्लावोश उजनांस्की-विस्निवस्की और टिबोर कापू — ‘ड्रैगन ग्रेस’ नामक स्पेसक्राफ्ट में सवार थे, जो कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में सुरक्षित उतरा।

स्वास्थ्य परीक्षण और पुनर्वास प्रक्रिया जारी

अंतरिक्ष यान से बाहर आने के तुरंत बाद, सभी अंतरिक्ष यात्रियों का प्राथमिक स्वास्थ्य परीक्षण समुद्र में तैनात एक जहाज पर किया गया। इसके बाद हेलिकॉप्टर के जरिए उन्हें एक्सिओम स्पेस के केंद्र पर लाया गया, जहां विस्तृत चिकित्सा परीक्षण और अनुकूलन संबंधी गतिविधियाँ की गईं। बाद में शुभांशु को अमेरिका के ह्यूस्टन शहर ले जाया गया, जहाँ वे एक सप्ताह के विशेष पुनर्वास कार्यक्रम में शामिल हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य माइक्रोग्रैविटी में बिताए समय के बाद शरीर को फिर से पृथ्वी के वातावरण के अनुरूप ढालना है।